भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 ( Industrial Reconstruction Bank of India Act, 1984 )

(क) इस अधिनियम के किसी उपबंध के संबंध में, नियत दिन" से वह तारीख अभिप्रेत है, जिसको ऐसा उपबंध प्रवृत्त होता है और इस अधिनियम के किसी उपबंध में नियत दिन के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस उपबंध के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ;

(ख) सहायता" से धारा 18 में किसी कारबार के अनुसरण में पुनर्निर्माण बैंक द्वारा दी गई कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वित्तीय, प्रबंधकीय या तकनीकी सहायता अभिप्रेत है ;

(ग) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान" से कोई ऐसा औद्योगिक समुत्थान अभिप्रेत है, जिसको पुनर्निर्माण बैंक द्वारा कोई सहायता दी गई है ;

(घ) बोर्ड" से पुनर्निर्माण बैंक का निदेशक बोर्ड अभिप्रेत है ;

(ङ) भार" के अंतर्गत धारा 37 में निर्दिष्ट कोई भार है ;

(च) निगम" से भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण निगम लिमिटेड अभिप्रेत है, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाई गई और रजिस्ट्रीकृत कंपनी है और जिसका रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पश्चिमी बंगाल राज्य में है ;

(छ) विकास बैंक" से भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम, 1964 (1964 का 18) की धारा 3 के अधीन स्थापित भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अभिप्रेत है ;

(ज) शोध्यधन" से पुनर्निर्माण बैंक को अपने द्वारा दी गई किसी सहायता के संबंध में या पुनर्निर्माण बैंक को निगमित किसी बंधपत्र या डिबेंचर के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा संदेय कोई शोध्यधन अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत ब्याज, किराया, खर्च, प्रभार और उनके संबंध में संदेय कमीशन है ;

(झ) औद्योगिक समुत्थान" से-

(1) ऐसा कोई समुत्थान अभिप्रेत है, जो निम्नलिखित कार्यों में लगा हुआ है या लगने वाला है,-

(i) माल का विनिर्माण, माल का परिरक्षण या माल का प्रसंस्करण ;

(v) यात्रियों या माल का सड़क या जल या वायु या रज्जु मार्ग से या लिफ्ट द्वारा परिवहन ;

(vi) विद्युत या किसी अन्य प्रकार की शक्ति का उत्पादन या वितरण ;

(vii) किसी भी वर्णन की मशीनरी या यानों या जलयानों या मोटर नौकाओं या ट्रेलरों या ट्रेक्टरों का अनुरक्षण, मरम्मत, परीक्षण या सर्विसिंग ;

(viii) मशीनरी या शक्ति की सहायता से किसी वस्तु का समंजन, मरम्मत या पैक करना ;

(ix) भूमि के किसी संलग्न क्षेत्र का औद्योगिक सम्पदा के रूप में विकास ;

(x) मछली पकड़ना या मछली पकड़ने के लिए तटवर्ती सुविधाएं उपलब्ध कराना या उनका अनुरक्षण ;

(xi) औद्योगिक प्रगति के संप्रवर्तन के लिए विशेष या तकनीकी ज्ञान या अन्य सेवाएं उपलब्ध कराना ; या

(xii) पूर्वोक्त विषयों में से किसी के संबंध में किसी प्रक्रिया या उत्पाद का अनुसंधान और विकास ।

(2) और इसके अंतर्गत है-

(i) किसी कंपनी, फर्म या अन्य निगमित निकाय के स्वामित्व, नियंत्रण या प्रबंध में का कोई ऐसा उपक्रम, जो इस प्रकार लगा हुआ है या लगने वाला है ;

(ii) ऐसा अन्य समुत्थान, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।

स्पष्टीकरण-माल का प्रसंस्करण" पद के अंतर्गत किसी पदार्थ को शारीरिक, यांत्रिक, रासायनिक, विद्युत या इसी प्रकार की किसी अन्य संक्रिया द्वारा किसी वस्तु का उत्पादन करने, उसे तैयार करने या बनाने की कारीगरी या प्रक्रिया है ;

(ञ) राष्ट्रीयकृत बैंक" से तत्स्थानी नया बैंक अभिप्रेत है, जो निम्नलिखित की धारा 2 में परिभाषित है-

(i) बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का 5) ;

(ii) बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1980 (1980 का 40) ;

(ट) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;

(ठ) लोक वित्तीय संस्था" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 4क में या उसके अधीन विनिर्दिष्ट कोई लोक वित्तीय संस्था अभिप्रेत है ;

(ड) पुनर्निर्माण बैंक" से धारा 3 के अधीन स्थापित भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अभिप्रेत है ;

(ढ) विनियम" से इस अधिनियम के अधीन बनाया गया कोई विनियम अभिप्रेत है ;

(ण) रिजर्व बैंक" से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 3 के अधीन गठित भारतीय रिजर्व बैंक अभिप्रेत है ;

(त) शेयर" से निगम की पूंजी में कोई शेयर अभिप्रेत है ;

(थ) शेयर धारक" से निगम द्वारा किसी शेयर के धारक के रूप में रजिस्ट्रीकृत कोई व्यक्ति अभिप्रेत है ;

(द) अनुसूचित बैंक" से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की द्वितीय अनुसूची में तत्समय सम्मिलित कोई बैंक अभिप्रेत है ;

(ध) स्टेट बैंक" से भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 (1955 का 23) की धारा 3 के अधीन गठित भारतीय स्टेट बैंक अभिप्रेत है ;

(न) राज्य सहकारी बैंक" से किसी राज्य में प्रधान सहकारी सोसाइटी अभिप्रेत है, जिसका मुख्य उद्देश्य उस राज्य में अन्य सहकारी सोसाइटियों का वित्तपोषण करना है ;

(प) राज्य वित्तीय निगम" से राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 (1951 का 63) की धारा 3 या धारा 3क के अधीन स्थापित कोई वित्तीय निगम या धारा 46 के अधीन अधिसूचित कोई संस्था अभिप्रेत है ;

(फ) राज्य स्तर अभिकरण" से किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में कार्य कर रही ऐसी कोई संस्था या अभिकरण अभिप्रेत है, जो पुनर्निर्माण बैंक द्वारा अपने अभिकरण के रूप में विनिर्दिष्ट की जाए ।

अध्याय 2

भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना

3. पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना-(1) उस तारीख से, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक के नाम से ज्ञात निगम की स्थापना की जाएगी ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मुद्रा वाला पूर्वोक्त नाम का एक निगमित निकाय होगा और इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उसे सम्पत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन करने की तथा संविदा करने की शक्ति होगी और उस नाम से वह वाद ला सकेगा और उस पर वाद लाया जा सकेगा ।

(3) पुनर्निर्माण बैंक का प्रधान कार्यालय कलकत्ता में होगा और पुनर्निर्माण बैंक चाहे भारत में या भारत के बाहर किसी अन्य स्थान पर कार्यालय, शाखाएं या अभिकरण स्थापित कर सकेगा ।

4. प्राधिकृत पूंजी-(1) पुनर्निर्माण बैंक की प्राधिकृत पूंजी दो सौ करोड़ रुपए होगी ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक की प्रारम्भिक समादत्त पूंजी पचास करोड़ रुपए होगी, जो निम्नलिखित रूप में प्राप्त की जाएगी, अर्थात् :-

(क) निगम की ऐसी आस्तियों में से, जो धारा 5 के उपबंधों के आधार पर पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित हो गई हैं, बीस करोड़ रुपए की राशि के, जो निगम के शेयरों पर समादत्त रकम के बराबर रकम है, विनियोग द्वारा ;

(ख) केन्द्रीय सरकार द्वारा निगम को दिए गए उधारों के, बीस करोड़ रुपए की सीमा तक, पुनर्निर्माण बैंक की पूंजी में संपरिवर्तन द्वारा ; और

(ग) केन्द्रीय सरकार द्वारा पुनर्निर्माण बैंक की समादत्त पूंजी में दस करोड़ रुपए की राशि के अभिदाय द्वारा ।

(3) पुनर्निर्माण बैंक अपनी समादत्त पूंजी को, उतनी रकम के जितनी वह समीचीन समझे, शेयरों को और निर्गमित करके बढ़ा सकेगा किन्तु ऐसा करने में पुनर्निर्माण बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि उसकी कुल पूंजी किसी भी दशा में उसकी प्राधिकृत पूंजी से अधिक न हो ।

(4) पुनर्निर्माण बैंक की संपूर्ण समादत्त पूंजी पूर्णतः केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रतिश्रुत की जाएगी और उसको आबंटित की जाएगी ।

[4क. पुनर्निर्माण बैंक की पूंजी के समायोजन के संबंध में संक्रमणकालीन उपबन्ध-(1) केन्द्रीय सरकार, पुनर्निर्माण बैंक की शेयर पूंजी को, -

(क) उसके किन्हीं साधारण शेयरों के दायित्व को निर्वापित कर या घटा कर ;

(ख) उसके किन्हीं साधारण शेयरों के दायित्व को या तो निर्वापित कर या घटा कर या उनके बिना, ऐसी किसी समादत्त शेयर पूंजी को रद्द करते हुए जिसकी हानि हो गई है या जिसके लिए आस्तियां उपलब्ध नहीं हैं ; या

(ग) उसके किन्हीं साधारण शेयरों के दायित्व को या तो निर्वापित कर या घटा कर या उनके बिना, ऐसी किसी समादत्त शेयर पूंजी का संदाय करते हुए, जो पुनर्निर्माण बैंक की आवश्यकताओं से अधिक है ;

(2) केन्द्रीय सरकार, किसी भी समय, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उसके द्वारा धारित साधारण शेयरों की उतनी संख्या को, जिसका वह विनिश्चय करे, मोचनीय अधिमानी शेयरों में संपरिवर्तित कर सकेगी ।

(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट मोचनीय अधिमानी शेयरों पर उतनी नियत दर से लाभांश देय होगा, जो केन्द्रीय सरकार, ऐसे संपरिवर्तन के समय विनिर्दिष्ट करे ।]

अध्याय 3

भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण निगम लिमिटेड के उपक्रम का अर्जन और अन्तरण

5. निगम के उपक्रम का पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित किया जाना-(1) निगम का उपक्रम उस तारीख को, केन्द्रीय सरकार, जो राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे, पुनर्निर्माण बैंक को अंतरित और उसमें निहित हो जाएगा ।

(2) निगम के उपक्रम के पुनर्निर्माण बैंक को अंतरित और उसमें निहित किए जाने के लिए निगम को केन्द्रीय सरकार द्वारा निगम की कुल समादत्त पूंजी की रकम के बराबर रकम नकद दी जाएगी ।

(3) निगम के उपक्रम के बारे में यह समझा जाएगा कि उसके अंतर्गत सभी आस्तियां, कारबार, अधिकार, शक्तियां, प्राधिकार और विशेषाधिकार तथा सभी स्थावर और जंगम संपत्ति, रोकड़ बाकी, आरक्षित निधियां, विनिधान, बही ऋण और ऐसी सम्पत्ति में या उससे उत्पन्न होने वाले सभी अन्य अधिकार और हित हैं, जो नियत दिन से ठीक पहले निगम के स्वामित्व, कब्जे, शक्ति या नियंत्रण में थे, चाहे वे भारत में या भारत के बाहर हों और तत्संबंधी सभी लेखा बहियां, रजिस्टर, अभिलेख और अन्य सभी दस्तावेजें हैं, चाहे वे किसी भी प्रकार की हों तथा यह भी समझा जाएगा कि उसके अंतर्गत ऐसे सभी उधार, दायित्व और बाध्यताएं हैं, चाहे वे किसी भी प्रकार की हों, जो निगम की अपने उपक्रम के संबंध में उस समय अस्तित्व में थीं ।

(4) जब तक इस अधिनियम द्वारा अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबंध नहीं किया जाता है तब तक सभी संविदाएं, विलेख, बंधपत्र, करार, मुख्तारनामे, विधिक प्रतिनिधि पत्र के अनुदान और सभी प्रकार की अन्य लिखतें जो नियत दिन से ठीक पहले अस्तित्वशील या प्रभावशील हों और जिनका निगम पक्षकार है या जो निगम के पक्ष में हैं, पुनर्निर्माण बैंक के विरुद्ध या उसके पक्ष में पूर्णतया प्रवृत्त और प्रभावशील होंगी और उन्हें इस प्रकार पूर्णतः और प्रभावी तौर पर प्रवर्तित किया जा सकेगा या उनके संबंध में कार्रवाई की जा सकेगी मानो निगम के स्थान पर पुनर्निर्माण बैंक उनका पक्षकार रहा हो या मानो वे पुनर्निर्माण बैंक के पक्ष में जारी की गई हों ।

(5) यदि नियत दिन को उपक्रम के कारबार के संबंध में, जो इस धारा के अधीन अन्तरित कर दिया गया है, निगम द्वारा या उसके विरुद्ध कोई वाद, अपील या किसी भी प्रकार की अन्य कार्यवाही लंबित है तो उसका निगम के उपक्रम के अन्तरित होने या इस अधिनियम में किसी बात के होने के कारण उपशमन नहीं होगा या वह बंद नहीं होगी या उस पर किसी प्रकार से प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और उस वाद, अपील या अन्य कार्यवाही को पुनर्निर्माण बैंक द्वारा या उसके विरुद्ध चालू रखा जा सकेगा, चलाया जा सकेगा और प्रवर्तित किया जा सकेगा ।

6. किसी व्यक्ति को निगम का प्रबंध ग्रहण करने के लिए प्राधिकृत करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, नियत दिन को या उसके पश्चात् निगम का परिसमापन करने के प्रयोजन के लिए निगम का प्रबंध-ग्रहण करने के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति को नियुक्त कर सकेगी और जहां कोई व्यक्ति इस प्रकार नियुक्त किया जाता है वहां ऐसे व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह निगम की संक्रियाओं को बन्द कर दे, धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन निगम को संदेय रकमों को वसूल करे और उक्त रकम को शेयर धारकों को उनके अधिकारों और हितों के अनुसार वितरित करे तथा ऐसी वसूली और वितरण के पश्चात् निगम के विघटन के लिए केन्द्रीय सरकार का आदेश प्राप्त करे ।

(2) उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए, उस उपधारा के अधीन नियुक्त व्यक्ति को कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन शासकीय समापक की ऐसी शक्तियां होंगी और उसके ऐसे कर्तव्य होंगे, जो उपधारा (1) के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए ऐसे आवश्यक हैं मानो निगम का न्यायालय द्वारा परिसमापन किया गया हो और इस प्रयोजन के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 के उपबंध, इस उपान्तरण के अधीन रहते हुए, लागू होंगे कि न्यायालय" शब्द के स्थान पर, जहां-जहां वह आता है, केन्द्रीय सरकार" शब्द रखे जाएंगे ।

(3) जब केन्द्रीय सरकार द्वारा कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन निगम का प्रबंध-ग्रहण करने के लिए नियुक्त किया जाता है तब-

(क) कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंध अथवा किसी अधिनियम या अन्य विधि के आधार पर प्रभाव रखने वाली कोई लिखत उक्त निगम को या उसके संबंध में वहां तक लागू नहीं रहेगी जहां तक वह इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत है ;

(ख) उपधारा (1) के अधीन किसी व्यक्ति की नियुक्ति से ठीक पहले निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक और अन्य निदेशकों के रूप में पद धारण करने वाले सभी व्यक्तियों के बारे में यह समझा जाएगा कि उन्होंने उस रूप में अपने पद रिक्त कर दिए हैं ।

(4) इस अधिनियम अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अथवा किसी करार या संविदा में किसी बात के होते हुए भी, नियत दिन से ठीक पहले निगम के अध्यक्ष या निदेशक के रूप में पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति, जो उस रूप में अपना पद उपधारा (3) के उपबंधों के कारण नियत दिन को रिक्त करता है, अपने पद की हानि या अपने नियोजन से संबंधित किसी करार या संविदा की समयपूर्व समाप्ति के लिए पुनर्निर्माण बैंक से किस प्रतिकर का, ऐसे प्रतिकर या अन्य फायदे के सिवाय, हकदार नहीं होगा जो पुनर्निर्माण बैंक, इस बात को ध्यान में रखते हुए उसे मंजूर करे कि उस व्यक्ति ने, यदि यह अधिनियम पारित न किया गया होता और यदि वह मामूली अनुक्रम में अपने नियोजन से निवृत्त हो गया होता तो, निगम के किसी अधिकारी के रूप में क्या प्राप्त किया होता ।

7. निगम के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की सेवाओं का पुनर्निर्माण बैंक को अंतरण-(1) धारा 6 की उपधारा (3) में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, निगम का प्रत्येक अधिकारी या अन्य कर्मचारी, नियत दिन से ही, पुनर्निर्माण बैंक का, यथास्थिति, अधिकारी या कर्मचारी हो जाएगा और उस बैंक में अपना पद या सेवा उन्हीं निबंधनों और शर्तों पर तथा उपदान और अन्य विषयों के संबंध में उन्हीं अधिकारों सहित जो, यदि निगम का उपक्रम पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित और उसमें निहित न हुआ होता तो, उसको अनुज्ञेय होते, धारण करेगा और ऐसा तब तक करता रहेगा जब तक पुनर्निर्माण बैंक में उसका नियोजन सम्यक् रूप से समाप्त नहीं कर दिया जाता है या जब तक उसका पारिश्रमिक, निबंधन और शर्तें पुनर्निर्माण बैंक द्वारा सम्यक् रूप से परिवर्तित नहीं कर दी जाती है :

परन्तु ऐसा कोई अधिकारी या अन्य कर्मचारी, जो पुनर्निर्माण बैंक के कर्मचारी के रूप में बने रहना नहीं चाहता है, नियत दिन से नब्बे दिन के भीतर अपने आशय की सूचना की तामील पुनर्निर्माण बैंक पर करेगा और सूचना की तामील की तारीख से तीस दिन की अवधि की समाप्ति पर, वह पुनर्निर्माण बैंक का कर्मचारी नहीं रहेगा और ऐसी समाप्ति पर, उसके नियोजन के निबंधनों के अधीन उसको देय अधिवार्षिकी और अन्य प्रसुविधाओं का पुनर्निर्माण बैंक द्वारा उसे तत्काल वैसे ही संदाय किया जाएगा मानो वह सेवा से निवृत्त हो गया हो ।

(2) कोई व्यक्ति, जो नियत दिन को, निगम से अथवा किसी भविष्य या अन्य निधि से अथवा ऐसी निधि का प्रशासन करने वाले किसी प्राधिकारी से कोई अधिवार्षिकी या अनुकम्पा भत्ता या प्रसुविधा पाने का हकदार है या प्राप्त कर रहा है, पुनर्निर्माण बैंक अथवा भविष्य या अन्य निधि अथवा ऐसी निधि का प्रशासन करने वाले किसी प्राधिकारी द्वारा वैसे ही भत्ते या प्रसुविधा का संदाय किए जाने का और उससे प्राप्त करने का हकदार होगा जब तक वह उन शर्तों का पालन करता है जिन पर भत्ता या प्रसुविधा मंजूर की गई थी और यदि इस बारे में कोई प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या उसने ऐसी शर्तों का इस प्रकार पालन किया है तो ऐसे प्रश्न का अवधारण केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाएगा और उस पर केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा ।

(3) जहां सेवा की किसी संविदा के निबंधनों के अधीन या अन्यथा, कोई व्यक्ति, जिसकी सेवाएं इस अधिनियम के उपबंधों के कारण पुनर्निर्माण बैंक को अंतरित हो जाती हैं, उपदान या सेवानिवृत्ति फायदे या उपभोग न की गई किसी छुट्टी के लिए प्रतिकर या किसी अन्य फायदे के रूप में किसी संदाय का हकदार है वहां ऐसा व्यक्ति अपने दावे को पुनर्निर्माण बैंक के विरुद्ध प्रवर्तित कर सकेगा ।

(4) उपधारा (1) या उपधारा (2) में किसी बात के होते हुए भी, नियत दिन के पूर्व किया गया कोई आवेदन या किसी व्यक्ति को दी गई वेतनवृद्धि, भत्ता या कोई अन्य फायदा, जो साधारणतया न किया गया होता या न दिया गया होता अथवा जो साधारणतया निगम के नियमों या प्राधिकार के अथवा नियत दिन के पूर्व प्रवृत्त भविष्य या किसी निधि के अधीन, अनुज्ञेय न होता, पुनर्निर्माण बैंक अथवा किसी भविष्यनिधि या अन्य निधि अथवा ऐसी निधि का प्रशासन करने वाले किसी प्राधिकारी के संबंध में प्रभावी होगा या उसके द्वारा संदेय होगा या उसके विरुद्ध दावा किया जा सकेगा जब तक केन्द्रीय सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, ऐसी नियुक्ति, प्रोन्नति या वेतनवृद्धि की पुष्टि नहीं कर देती है या, यथास्थिति, ऐसे भत्ते या अन्य फायदे के दिए जाने को जारी रखे जाने के लिए निदेश नहीं दे देती है ।

(5) औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, निगम के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी की सेवाओं का पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरण ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी को उस अधिनियम या अन्य विधि के अधीन किसी प्रतिकर का हकदार नहीं बनाएगा और ऐसा कोई दावा किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा ।

(6) जहां निगम के किसी व्यक्ति, अध्यक्ष या अन्य निदेशक, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, अथवा अन्य कर्मचारी को, नियत दिन से पूर्व, प्रतिकर या उपदान के रूप में किसी राशि का संदाय किया गया है वहां पुनर्निर्माण बैंक इस प्रकार संदत्त किसी राशि के प्रतिदाय का दावा करने का हकदार होगा, यदि ऐसे संदाय की केन्द्रीय सरकार द्वारा, साधारण या विशेष आदेश द्वारा ऐसी पुष्टि नहीं कर दी जाती है ।

(7) जहां निगम या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा अपने अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के फायदे के लिए एक या अधिक भविष्य निधियां स्थापित की गई हैं या रखी गई हैं वहां उन अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को, जिनकी सेवाएं इस अधिनियम द्वारा या इसके अधीन पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित हो गई हैं, विकलनीय धन, ऐसी भविष्य निधि में नियत दिन को जमा धनराशियों में से, धारा 62 के अधीन पुनर्निर्माण बैंक द्वारा स्थापित भविष्य निधि को अन्तरित और उसमें निहित हो जाएगा ।

(8) जहां निगम द्वारा अपने उन अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों के, जिनकी सेवाएं पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित हो गई हैं, फायदे के लिए कोई अधिवार्षिकी निधि, कल्याण निधि और अन्य निधि स्थापित की गई है वहां ऐसी निधि में जमा रकम, नियत दिन को, संबंधित अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों को, उनके अधिकारों और बाध्यताओं के अनुसार, वितरण के लिए पुनर्निर्माण बैंक को अन्तरित हो जाएगी ।

8. निगम का विघटन-(1) जैसे ही धारा 6 के अधीन रकम की वसूली और वितरण हो जाता है, वैसे ही उस धारा की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त व्यक्ति सम्यक् रूप से संपरीक्षित लेखाओं को केन्द्रीय सरकार को प्रस्तुत करेगा और निगम के विघटन के बारे में आदेशों के लिए उस सरकार को आवेदन करेगा ।

(2) यदि केन्द्रीय सरकार का, ऐसे व्यक्ति को सुनने के पश्चात्, जिसे वह ठीक समझे और इस प्रकार संपरीक्षित लेखाओं का परिशीलन करने के पश्चात् यह समाधान हो जाता है कि रकम की वसूली और वितरण इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार किया गया है तो वह यह आदेश करेगी कि निगम को आदेश की तारीख से विघटित किया जाता है और तद्नुसार निगम विघटित हो जाएगा ।

(3) निगम के विघटन के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा किए गए आदेश की प्रति पुनर्निर्माण बैंक द्वारा कंपनी रजिस्ट्रार के पास आदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर फाइल की जाएगी और कंपनी रजिस्ट्रार उक्त आदेश को ऐसे कार्यान्वित करेगा मानो वह निगम के विघटन के लिए न्यायालय द्वारा किया गया आदेश हो ।

(4) इस धारा के उपबंध, कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे ।

अध्याय 4

पुनर्निर्माण बैंक का प्रबंध

9. प्रबंध-(1) पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकलापों और कारबार का साधारण अधीक्षण, निदेशन और प्रबंध एक निदेशक बोर्ड में निहित होगा, जो ऐसी सभी शक्तियों का प्रयोग तथा ऐसे सभी कार्य और बातें कर सकेगा जिनका प्रयोग पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किया जा सकेगा या जिन्हें पुनर्निर्माण बैंक कर सकेगा ।

(2) इस अधिनियम के अधीन बनाए गए विनियमों में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, अध्यक्ष को पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकलापों और कारबार के साधारण अधीक्षण, निदेशन और प्रबन्ध की शक्तियां भी होंगी और वह ऐसी सभी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे सभी कार्य और बातें भी कर सकेगा जिनका प्रयोग पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किया जा सकेगा या जिन्हें पुनर्निर्माण बैंक कर सकेगा ।

(3) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, बोर्ड अपने कृत्यों के निर्वहन में, लोक हित का सम्यक् ध्यान रखते हुए, कारबार के सिद्धान्तों के अनुसार कार्य करेगा ।

(4) पुनर्निर्माण बैंक, इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन में, नीति संबंधी उन विषयों के बारे में जिनमें लोक हित अंतर्वलित है, ऐसे निदेशों से मार्गदर्शित होगा जो उसे केन्द्रीय सरकार द्वारा लिखित रूप में दिए जाएं और यदि इस बारे में कोई विवाद उत्पन्न होता है कि कोई प्रश्न ऐसी नीति का प्रश्न है या नहीं तो उस विवाद का विनिश्चय केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाएगा, और उस पर उसका विनिश्चय अन्तिम होगा ।

10. निदेशक बोर्ड-(1) बोर्ड निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात् :-

(क) अध्यक्ष, जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा, जो अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दोनों के रूप कार्य करेगा ;

(ख) रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर, जिसे उस बैंक द्वारा नामनिर्देशित किया जाएगा ;

(ग) निदेशक, जिसे विकास बैंक द्वारा नामनिर्देशित किया जाएगा ;

(घ) पन्द्रह से अनधिक निदेशक, जिन्हें केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित किया जाएगा ; जिनमें से-

(i) तीन निदेशक केन्द्रीय सरकार के पदधारी होंगे ;

(ii) तीन से अनधिक निदेशक लोक वित्तीय संस्थाओं से होंगे ;

(iii) पांच से अनधिक निदेशक, स्टेट बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंकों और राज्य वित्तीय निगमों से होंगे ;

(iv) चार से अनधिक निदेशक ऐसे व्यक्तियों में से होंगे, जिन्हें केन्द्रीय सरकार की राय में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, उद्योग, औद्योगिक सहकारिता, विधि, औद्योगिक वित्त, विनिधान, लेखाकर्म, विपणन या किसी अन्य विषय में विशेष ज्ञान और वृत्तिक अनुभव है और जिनका विशेष ज्ञान या वृत्तिक अनुभव, केन्द्रीय सरकार की राय में, पुनर्निर्माण बैंक के लिए उपयोगी होगा ।

(2) उपधारा (1) के अधीन नामनिर्देशित निदेशक, उसे नामनिर्देशित करने वाले प्राधिकारी के प्रसाद-पर्यन्त, पद धारण करेगा ।

[(3) उपधारा (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के खंड (ग) या खंड (घ) के अधीन नामनिर्दिष्ट कोई निदेशक जो सरकार का पदधारी या विकास बैंक या किसी लोक वित्तीय संस्था या स्टेट बैंक या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या किसी राज्य वित्तीय निगम का पदधारी या पूर्णकालिक निदेशक नहीं है, ऐसी अवधि तक जो तीन वर्ष से अधिक नहीं होगी जो उसका नामनिर्देशन करने वाला प्राधिकारी इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे और उसके पश्चात् तब तक जब तक कि उसका उत्तरवर्ती पद ग्रहण नहीं कर लेता है, पद धारण करेगा और वह पुनर्नामनिर्देशन के लिए पात्र होगा :

परन्तु कोई ऐसा निदेशक छह वर्ष से अधिक की अवधि तक निरंतर पद धारण नहीं करेगा ।]

11. बोर्ड की सदस्यता की निरर्हताएं-कोई व्यक्ति बोर्ड का सदस्य होने के लिए अर्हित नहीं होगा यदि-

(क) वह भ्रष्टाचार या रिश्वत के आरोप पर-

(ii) रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक या किसी अन्य बैंक, या

(iii) किसी लोक वित्तीय संस्था या राज्य वित्तीय निगम, या

(iv) किसी अन्य निगम, जो सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में है,

की सेवा से हटाया गया है या पदच्युत किया गया है ; या

(ख) वह दिवालिया न्यायनिर्णीत किया जाता है या किसी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है या उसने अपने ऋणों का संदाय निलम्बित कर दिया है या अपने लेनदारों के साथ समझौता कर लिया है ; या

(ग) वह पागल है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान ; या

(घ) वह ऐसे किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है या ठहराया गया है जिसमें केन्द्रीय सरकार की राय में, नैतिक अधमता अन्तर्वलित है ।

12. अध्यक्ष की पदावधि, वेतन और भत्ते-(1) अध्यक्ष, पांच वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे और इस प्रकार नियुक्त किया गया कोई व्यक्ति उतनी ही अवधि के लिए पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा ।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी,-

(क) केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार होगा कि वह अध्यक्ष की पदावधि को, उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पूर्व उसे किसी भी समय कम से कम तीन मास की लिखित सूचना देकर या ऐसी सूचना के बदले में उसे तीन मास का वेतन और भत्ते देकर समाप्त कर दे और अध्यक्ष को भी यह अधिकार होगा कि वह उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पूर्व किसी भी समय केन्द्रीय सरकार को कम से कम तीन मास की लिखित सूचना देकर अपना पद त्याग दे ;

(ख) केन्द्रीय सरकार किसी भी समय अध्यक्ष को पद से हटा सकेगी :

परन्तु इस खण्ड के अधीन किसी व्यक्ति को उसके पद से तभी हटाया जाएगा जब उसे उसके हटाए जाने के विरुद्ध हेतुक दर्शित करने का उचित अवसर दे दिया गया हो ।

(3) जहां अध्यक्ष के पद में कोई रिक्ति हो जाती है वहां केन्द्रीय सरकार अध्यक्ष के कृत्यों का निर्वहन करने के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति को नियुक्त करेगी ।

(4) जब अध्यक्ष अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब केन्द्रीय सरकार अध्यक्ष के रूप में कृत्य करने के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति को उस दिन तक के लिए नियुक्त कर सकेगी जिस दिन अध्यक्ष अपने कृत्यों को फिर से संभालता है ।

(5) अध्यक्ष, पुनर्निर्माण बैंक का पूर्णकालिक अधिकारी होगा और ऐसे वेतन, भत्ते और अन्य फायदे प्राप्त करेगा और ऐसे निबंधनों और शर्तों के अधीन होगा, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाएं :

परन्तु यदि बोर्ड की यह राय है कि लोक हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह अध्यक्ष को, केन्द्रीय सरकार या रिजर्व बैंक के अनुरोध पर, ऐसा अंशकालिक अवैतनिक कार्य करने की अनुज्ञा दे सकेगा, जिससे अध्यक्ष के रूप में उसके कर्त्तव्यों में बाधा पड़ने की संभावना न हो ।

13. हित का प्रकटन-बोर्ड के किसी सदस्य का किसी ऐसे कारबार, उद्योग या समुत्थान में, जिसको इस अधिनियम के अधीन पुनर्निर्माण बैंक द्वारा कोई सहायता दी गई है या दी जानी है, कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित नहीं होगा और यदि कोई ऐसा सदस्य ऐसी सहायता दिए जाने के दौरान किसी भी समय कोई हित अर्जित करता है तो वह तुरंत उस बोर्ड को प्रकट करेगा और वह बोर्ड की सदस्यता से त्यागपत्र दे देगा या अपने हित का व्ययन ऐसी रीति से और ऐसे समय के भीतर करेगा जो बोर्ड निर्दिष्ट करे ।

14. बोर्ड की बैठकें-(1) बोर्ड की बैठक ऐसे समयों और स्थानों पर होंगी और वह अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में प्रक्रिया के ऐसे नियमों का अनुपालन करेगा जो विनियमों में उपबंधित किए जाएं ।

(2) यदि किसी कारण से अध्यक्ष, बोर्ड की किसी बैठक में उपस्थित होने में असमर्थ है तो अध्यक्ष द्वारा इस निमित्त नामनिर्देशित कोई अन्य निदेशक, और ऐसे नामनिर्देशन के अभाव में, उपस्थित, निदेशकों द्वारा अपने में से निर्वाचित कोई निदेशक, बैठक की अध्यक्षता करेगा ।

(3) बोर्ड की किसी बैठक के समक्ष आने वाले सभी प्रश्नों का विनिश्चय उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा और मतों के बराबर होने की दशा में अध्यक्ष का या उसकी अनुपस्थिति में, अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति का, द्वितीय या निर्णायक मत होगा ।

(4) उपधारा (3) के अधीन जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, बोर्ड के प्रत्येक सदस्य का एक मत होगा ।

15. कार्यपालिका समिति और अन्य समितियां-(1) बोर्ड कार्यपालिका समित गठित कर सकेगा जो उतने सदस्यों से मिलकर बनेगी जो विनियमों में उपबन्धित किए जाएं ।

(2) कार्यपालिका समिति ऐसे कृत्यों का निर्वहन करेगी, जो बोर्ड द्वारा विनियमों में उपबन्धित किए जाएं या उसे प्रत्यायोजित किए जाएं ।

(3) बोर्ड ऐसी अन्य समितियां, चाहे वे केवल निदेशकों से, या केवल अन्य व्यक्तियों से मिलकर अथवा भागतः निदेशकों से और भागतः अन्य व्यक्तियों से मिलकर बनती हों ऐसे प्रयोजन या प्रयोजनों के लिए गठित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।

(4) इस धारा के अधीन गठित कार्यपालिका समिति या किसी अन्य समिति की बैठक ऐसे समयों और स्थानों पर होगी और वह अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में प्रक्रिया के ऐसे नियमों का अनुपालन करेगी जो विनियमों में उपबंधित किए जाएं ।

16. बोर्ड में कोई रिक्ति विद्यमान होने या उसके गठन में कोई त्रुटि होने अथवा किसी सदस्य की नियुक्ति में त्रुटि या उसकी निरर्हता के कारण बोर्ड की कार्यवाहियों का अविधिमान्य होना-(1) बोर्ड का या उसके द्वारा गठित किसी कार्यपालिका या अन्य समिति का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि, यथास्थिति, ऐसे बोर्ड या समिति में कोई रिक्ति विद्यमान थी या उसके गठन में कोई त्रुटि थी ।

(2) बोर्ड के या उसके द्वारा गठित किसी समिति के सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति द्वारा सद्भावपूर्वक किए गए सभी कार्य इस बात के होते हुए भी विधिमान्य होंगे कि तत्पश्चात् यह पता चलता है कि उसकी नियुक्ति किसी त्रुटि या निरर्हता के कारण अविधिमान्य थी अथवा इस अधिनियम के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के किसी उपबन्ध के आधार पर समाप्त कर दी गई थी :

परन्तु इस धारा की किसी बात से यह नहीं समझा जाएगा कि वह बोर्ड के या किसी समिति के किसी सदस्य के ऐसे किसी कार्य को विधिमान्य बनाती है जिसके बारे में उसकी नियुक्ति के पश्चात् पुनर्निर्माण बैंक को यह दर्शित कर दिया जाता है कि वह नियुक्ति अविधिमान्य है या समाप्त कर दी गई है ।

17. निदेशकों और समितियों के सदस्यों की फीस और भत्ते-निदेशकों और समिति के सदस्यों को, बोर्ड या इस अधिनियम के अनुसरण में गठित किसी समिति की बैठकों में उपस्थित होने के लिए या पुनर्निर्माण बैंक का कोई अन्य कार्य करने के लिए ऐसी फीस और भत्ते दिए जाएंगे जो विनियमों में उपबंधित किए जाएं :

परन्तु अध्यक्ष को या किसी अन्य निदेशक या सदस्य को, जो सरकार का पदधारी है अथवा रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर को अथवा विकास बैंक या पुनर्निर्माण बैंक के किसी अधिकारी को कोई फीस संदेय नहीं होगी ।

अध्याय 5

पुनर्निर्माण बैंक के उद्देश्य और उसके द्वारा किया जाने वाला कारबार

18. पुनर्निर्माण बैंक के उद्देश्य और कारबार-(1) पुनर्निर्माण बैंक, उद्योगों का आधुनिकीकरण, विस्तार, पुनर्गठन, विविधिकरण या सुव्यवस्थीकरण करके और उसमें लगी हुई अन्य संस्थाओं के वैसे ही कार्य का समन्वय करके औद्योगिक पुनरुज्जीवन के लिए प्रधान प्रत्यय और पुनर्निर्माण अभिकरण के रूप में कृत्य करेगा और औद्योगिक विकास, पुनर्निर्माण और पुनरुज्जीवन में सहायता और संवर्धन करेगा तथा सहायता की व्यवस्था करके या उसको उपाप्त करके और उसके लिए स्कीमों का कार्यान्वयन करके, औद्योगिक समुत्थानों का पुनरुद्धार करेगा और उक्त उद्देश्यों के पूर्ति के लिए निम्नलिखित सभी या कोई कारबार चला सकेगा और कर सकेगा, अर्थात् :-

(क) किसी औद्योगिक समुत्थान की उधार और अग्रिम धन (जिसके अन्तर्गत कामकाज पूंजी है) अनुदत्त करना या किसी औद्योगिक समुत्थान के स्टाकों, शेयरों, बंधपत्रों या डिबेंचरों के लिए अभिदाय करना या उन्हें क्रय करना या उनके निर्गमन की हामीदारी करना अथवा ऐसे उधारों या डिबेंचरों के संबंध में शोध्य धन को किसी औद्योगिक समुत्थान के शेयरों के रूप में संपरिवर्तित करना ;

( ख ) निम्नलिखित के संबंध में , यथास्थिति , प्रत्याभूति देना , दोहरी प्रत्याभूति देना या क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करना -

(i) भारत में या भारत के बाहर किसी अनुसूचित बैंक या राज्य सहकारी बैंक या किसी लोक वित्तीय संस्था या किसी अन्य विहित संस्था या अभिकरण से लिए गए उधार ;

(ii) किसी औद्योगिक समुत्थान द्वारा शोध्य आस्थगित संदाय ;

(iii) किसी औद्योगिक समुत्थान द्वार की गई किसी संविदा की बाध्यता का पालन, जिसके अन्तर्गत ऐसे औद्योगिक समुत्थान द्वारा ऐसी संविदा के संबंध में प्राप्त किए गए किसी अग्रिम धन का प्रतिसंदाय है ;

(ग) ऐसी किसी संस्था के, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त अधिसूचित की जाए, स्टाकों, शेयरों, बंधपत्रों या डिबेंचरों के लिए अभिदाय करना या उन्हें क्रय करना या उनके निर्गमन की हामीदारी करना ;

(घ) औद्योगिक समुत्थानों को उधारा और अग्रिम धन अनुदत्त करने के लिए किसी राज्य स्तर के अभिकरण या अन्य विहित संस्था या अभिकरण को ऋण देना ;

(ङ) औद्योगिक समुत्थान को उधार और अग्रिम धन अनुदत्त करने के लिए या उसकी ओर से प्रत्याभूति देने के लिए अन्य लोक वित्तीय संस्थाओं , अनुसूचित बैंको और राज्य सहकारी बैंकों से ऋण की व्यवस्था करना या प्राप्त करना ;

(च) अवसंरचनात्मक सुविधाओं और कच्ची सामग्री की व्यवस्था करना ;

(छ) पट्टे पर या अवक्रय के आधार पर मशीनरी और अन्य उपस्कर की व्यवस्था करना ;

(ज) किसी औद्योगिक समुत्थान या उद्योग के पुनर्निर्माण और विकास के संबंध में भारत में और भारत के बाहर परामर्श संबंधी और वाणिज्यिक बैंककारी सेवाओं की साधारणतया व्यवस्था करना ;

(झ) किसी औद्योगिक समुत्थान द्वारा या किसी एक औद्योगिक समुत्थान द्वारा विनिर्मित पूंजीगत माल का किसी दूसरे औद्योगिक समुत्थान को विक्रय करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा रचे गए, लिखे गए, प्रतिगृहीत किए गए या पृष्ठांकित किए गए विनिमय-पत्रों और वचनपत्रों का प्रतिग्रहण करना या मितिकाटे पर भुगतान करना ;

(ञ) औद्योगिक समुत्थानों का संप्रवर्तन करना, उन्हें स्वामित्व में लेना, उनका प्रबंध ग्रहण करना, प्रबंध करना और प्राधिकृत व्यक्ति के रूप में कार्य करना जहां उसे किसी औद्योगिक समुत्थान का, जिसके अंतर्गत अनुषंगी हैं, प्रबंध करने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा इस प्रकार नियुक्त किया जाता है ;

(ट) उधारों और अग्रिम धनों के संबंध में किसी लिखत को प्रतिफल के लिए अन्तरित करना या अर्जित करना ;

(ठ) किसी औद्योगिक समुत्थान या कारबार समुत्थान को तकनीकी, विधिक, प्रशासनिक और विपणन संबंधी सहायता देना, उसके विलयन, समामेलन या पुनर्निर्माण के लिए संप्रवर्तन करना, सहायता करना और वित्त पोषण करना ;

(ड) औद्योगिक समुत्थानों को जिनके अंतर्गत राष्ट्रीयकृत उपक्रम हैं, अपने काडर से या इस प्रयोजन के लिए गठित किसी पृथक् प्रबंध पूल से अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करके प्रबंधकीय सहायता देना ;

(ढ) विपणन या विनिधानों के मूल्यांकन के लिए या उनकी बाबत अनुसंधान और सर्वेक्षण करना, उद्योग के पुनर्निर्माण और विकास के संबंध में तकनीकी-आर्थिक अध्ययन करना, तथा ऐसे प्रयोजनों के लिए, जिनके अंतर्गत कार्मिकों का प्रशिक्षण है, संस्थानों की स्थापना करना ;

(ण) प्रत्यय-पत्रों को अनुदत्त करना, खोलना, निर्गमित करना, पुष्ट करना या पृष्ठांकित करना और उनके अधीन लिखे गए विनिमय पत्रों और अन्य दस्तावेजों का परक्रामण या संग्रहण करना ;

(त) अपने किसी कृत्य को कार्यान्वित करने के लिए समनुषंगियों का बनाया जाना या नियंत्रण करना या अपने कारबार के लिए सहायक ऐसे अन्य क्रियाकलाप करना ;

(थ) निम्नलिखित के अभिकर्ता के रूप में कार्य करना-

(i) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार ;

(ii) रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक, अनुसूचित बैंक, राज्य सहकारी बैंक, लोक वित्तीय संस्था, राज्य वित्तीय निगम ;

(iii) ऐसी अन्य सरकार या व्यक्ति, जिसे केन्द्रीय सरकार प्राधिकृत करे,

और उन संस्थाओं या अभिकरणों में से एक या अधिक को या किसी अन्य विहित व्यक्ति को अपने अभिकर्ता के रूप में नियुक्त करना ;

(द) इस अधिनियम या किसी अन्य विधि के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा उसकों सौंपे गए या उससे अपेक्षित कृत्यों का पालन करना ;

( ध ) देश में या देश के बाहर किसी ऐसे प्रकार का कारबार या समनुदेशन करना , जो केन्द्रीय सरकार प्राधिकृत करे ;

( न ) औद्योगिक रुग्णता और औद्योगिक विकास के संबंध में सभी संबंधित अभिकरणों से जानकारी एकत्र करना ;

(प) औद्योगिक समुत्थानों या किसी उद्योग का पुनर्निर्माण करने, उसे पुनरुज्जीवित करने या उसका पुनरुद्धार करने के लिए नीति संबंधी ढांचे को बनाने में केन्द्रीय सरकार की सहायता करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों को तैयार करना ;

(फ) पुनर्निर्माण बैंके के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को (जिनके अंतर्गत संविदा पर नियोजित व्यक्ति हैं) गृह निर्माण और अन्य प्रयोजनों के लिए उधार देना ;

(ब) साधारणतया ऐसे अन्य कार्य और बातें करना, जो इस अधिनियम के या किसी अन्य विधि के अधीन अपनी ऐसी शक्तियों के प्रयोग और अपने ऐसे कर्त्तव्यों के आनुषंगिक या पारिणामिक हैं, जिनके अंतर्गत अपनी किसी आस्ति का विक्रय या अंतरण है ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक, उपधारा (1) में उल्लिखित किसी सेवा के प्रतिफलस्वरूप, ऐसा कमीशन, दलाली, ब्याज, किराया, पारिश्रमिक या फीस ले सकेगा, जो करार पाई जाए ।

(3) पुनर्निर्माण बैंक, अपने बंधपत्रों या डिबेंचरों की प्रतिभूति पर कोई उधार या अग्रिम धन या कोई अन्य सहायता अनुदत्त नहीं करेगा ।

19. प्रतिषिद्ध कारबार-(1) पुनर्निर्माण बैंक, ऐसे किसी औद्योगिक समुत्थान के साथ किसी भी प्रकार का कारबार नहीं करेगा, जिसमें पुनर्निर्माण बैंक का कोई निदेशक, उसका स्वत्वधारी, भागीदार, निदेशक, प्रबंधक, अभिकर्ता, कर्मचारी या प्रत्याभूति-दाता है अथवा जिसमें पुनर्निर्माण बैंक के एक या अधिक निदेशक मिलकर पर्याप्त हित रखते है :

परंतु यह उपधारा किसी औद्योगिक समुत्थान को लागू नहीं होगी, यदि पुनर्निर्माण बैंक का कोई निदेशक, यथास्थिति, केवल नामनिर्देशन या निर्वाचन के कारण-

(i) सरकार द्वारा या किसी सरकारी कंपनी द्वारा अथवा पुनर्निर्माण बैंक द्वारा या किसी अन्य विधि द्वारा स्थापित किसी निगम द्वारा ऐसे समुत्थान के बोर्ड के निदेशक के रूप में नामनिर्देशित किया जाता है, या

(ii) सरकार द्वारा या किसी सरकारी कंपनी द्वारा अथवा पुनर्निर्माण बैंक द्वारा या किसी अन्य विधि द्वारा स्थापित किसी निगम द्वारा उस औद्योगिक समुत्थान में धारित शेयरों के आधार पर ऐसे औद्योगिक समुत्थान के बोर्ड के निदेशक के रूप में निर्वाचित किया जाता है ।

स्पष्टीकरण 1-सरकारी कंपनी" का वही अर्थ है, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में है ।

स्पष्टीकरण 2-किसी औद्योगिक समुत्थान के संबंध में, पर्याप्त हित" से पुनर्निर्माण बैंक के एक या अधिक निदेशकों द्वारा या ऐसे निदेशक के [कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 2 के खंड (41) में परिभाषितट किसी नातेदार द्वारा, अकेले या साथ मिलकर, उस औद्योगिक समुत्थान के शेयरों में धारित ऐसा फायदाप्रद हित अभिप्रेत है जिस पर समादत्त कुल रकम पांच लाख रुपए या औद्योगिक समुत्थान की समादत्त शेयर पूंजी के पांच प्रतिशत से, इनमें से जो भी कम हो, अधिक है ।

(2) उपधारा (1) के उपबन्ध-

(i) उसमें विनिर्दिष्ट किसी औद्योगिक समुत्थान को लागू नहीं होंगे यदि पुनर्निर्माण बैंक का यह समाधान हो जाता है कि उस समुत्थान के साथ कारबार करना लोक हित में आवश्यक है और ऐसे औद्योगिक समुत्थान के साथ किसी प्रकार का कारबार करना ऐसी शर्तों और निर्बंधनों के अनुसार और उनके अधीन रहते हुए होगा, जो विनियमों में उपबंधित किए जाएं ;

(ii) केवल तब तक लागू होंगे जब तक उक्त उपधारा में उपवर्णित ऐसी निर्योग्यता की पुरोभाव्य शर्तें बनी रहती हैं ।

20. केन्द्रीय सरकार द्वारा उधार दिया जाना-केन्द्रीय सरकार, संसद् द्वारा इस निमित्त विधि द्वारा किए गए सम्यक् विनियोग के पश्चात्, पुनर्निर्माण बैंक को ब्याज मुक्त उधार या ब्याज सहित उधार ऐसे निबंधनों और शर्तों पर दे सकेगी जो करार पाई जाएं ।

21. पुनर्निर्माण बैंक द्वारा उधार लिया जाना और निक्षेपों का प्रतिग्रहण-(1) पुनर्निर्माण बैंक इस अधिनियम के अधीन अपने कार्यों का निष्पादन करने के प्रयोजन के लिए-

(क) केन्द्रीय सरकार की प्रत्याभूति सहित या उसके बिना बंधपत्र और डिबेंचर निर्गमित कर सकेगा और उनका विक्रय कर सकेगा ;

(ख) रिजर्व बैंक से-

(i) ऐसे स्टाकों, निधियों और प्रतिभूतियों की (जो स्थावर संपत्ति से भिन्न है) प्रतिभूति पर, जिनमें न्यास धन विनिहित करने के लिए कोई न्यासी भारत में तत्समय, प्रवृत्त विधि द्वारा प्राधिकृत है, ऐसा धन उधार ले सकेगा, जो मांगे जाने पर, या इस प्रकार धन उधार लिए जाने की तारीख से नब्बे दिन से अनधिक की नियत अवधि के अवसान पर प्रतिसंदेय हो ;

(ii) ऐसे विनिमय-पत्रों या वचनपत्रों पर धन उधार ले सकेगा जो सद्भावी, वाणिज्यिक या व्यापारिक संव्यवहारों में लिखे जाएं, और जिन पर दो या अधिक मान्य हस्ताक्षर हों और जो उधार लिए जाने की तारीख से पांच वर्ष के भीतर परिपक्व होते हों ;

(iii) केन्द्रीय सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) के अनुसार, अनुमोदित किसी अन्य प्रयोजन के लिए धन उधार ले सकेगा ;

(ग) भारत में ऐसे अन्य प्राधिकरण, संगठन, संस्था या न्यास से धन उधार ले सकेगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा साधारणतया या विशेषतया अनुमोदित किया जाए ;

(घ) ऐसी अवधि की, जो निक्षेप किए जाने की तारीख से बारह मास से कम की नहीं होगी, समाप्ति के पश्चात् प्रतिसंदेय निक्षेपों का ऐसे निबंधनों पर प्रतिग्रहण कर सकेगा जो रिजर्व बैंक द्वारा साधारणतया या विशेषतया अनुमोदित किए जाएं ।

(2) केन्द्रीय सरकार, पुनर्निर्माण बैंक द्वारा उसे अनुरोध किए जाने पर, मूलधन के प्रतिसंदाय और ऐसी दर पर, जो वह सरकार नियत करे, ब्याज के संदाय के बारे में उस बैंक द्वारा निर्गमित बंधपत्रों और डिबेंचरों की प्रत्याभूति दे सकेगी ।

(3) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, पुनर्निर्माण बैंक द्वारा निर्गमित या विक्रीत बंधपत्र और डिबेंचर, भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2), बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का 4) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) के प्रयोजनों के लिए अनुमोदित प्रतिभूतियां होंगे ।

22. अधिकार अन्तरित करने की शक्ति-पुनर्निर्माण बैंक द्वारा अनुमोदित उधार या अग्रिम धन अथवा वसूल की जा सकने वाली किसी रकम के संबंध में उसके अधिकार और हित (जिनके अंतर्गत उनके आनुषंगिक अन्य अधिकार हैं), किसी लिखत को निष्पादित या जारी करके या पृष्ठांकन द्वारा किसी लिखत का अन्तरण करके या ऐसी किसी अन्य रीति से पुनर्निर्माण बैंक द्वारा पूर्णतः या भागतः अंतरित किए जा सकेंगे जिससे ऐसे उधार या अग्रिम धन से संबंधित अधिकार और हित विधिपूर्वक अंतरित किए जा सकेंगे, और पुनर्निर्माण बैंक, ऐसे अंतरण के होते हुए भी अंतरिती के न्यासी के रूप में कार्य कर सकेगा ।

23. विदेशी करेंसी में उधार-(1) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (1973 का 46) में या विदेशी मुद्रा से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियमिति में किसी बात के होते हुए भी, पुनर्निर्माण बैंक इस अधिनियम के अधीन उधार और अग्रिम धन अनुदत्त करने के प्रयोजन के लिए, विदेश, में किसी बैंक या वित्तीय संस्था से या अन्यथा विहित रूप में केन्द्रीय सरकार की पूर्व सहमति से विदेशी करेंसी उधार ले सकेगा ।

(2) केन्द्रीय सरकार, जहां आवश्यक हो वहां, पुनर्निर्माण बैंक द्वारा उपधारा (1) के अधीन लिए गए, किसी उधार या उसके किसी भाग को मूलधन के प्रतिसंदाय और ब्याज तथा अन्य आनुषंगिक प्रभारों के संदाय के बारे में प्रत्याभूत कर सकेगी ।

(3) उपधारा (1) के अधीन उधार ली गई विदेशी करेंसी में से पुनर्निर्माण बैंक द्वारा अनुदत्त सभी उधार और अग्रिम धन उनके अनुदान के समय भारत में विद्यमान विनिमय दर के अनुसार संगणित भारतीय करेंसी के समतुल्य विदेशी करेंसी में अभिव्यक्त किए जाएंगे और उनके अधीन शोध्य रकम, ऐसे उधार या अग्रिम धन के प्रतिसंदाय के समय भारत में विद्यमान विनिमय दर के अनुसार संगणित समतुल्य भारतीय करेंसी में प्रतिसंदेय होगी ।

(4) इस अधिनियम के अधीन उधार और अग्रिम धन अनुदत्त करने के प्रयोजन के लिए, उपधारा (1) के अधीन विदेशी करेंसी के उधार लेने के संबंध में या उधार देने वाले संबंधित विदेशी अभिकरण को उसके प्रतिसंदाय के संबंध में विनिमय दर में किसी उतार-चढ़ाव के कारण-

(क) उस अवधि के जिसके भीतर वह उधार या अग्रिम धन औद्योगिक समुत्थान द्वारा प्रतिसंदेय है अथवा उस समुत्थान द्वारा उसके वास्तविक प्रतिसंदाय की अवधि के, इनमें से जो भी अधिक हो, दौरान प्रोद्भूत होने वाली किसी हानि या लाभ की प्रतिपूर्ति या संदाय, यथास्थिति, ऐसे उधारों और अग्रिम धनों के प्राप्तकर्ताओं द्वारा या उनको किया जाएगा ;

(ख) खंड (क) में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पश्चात् प्रोद्भूत होने वाली-

(i) कोई हानि या लाभ विदेशी विनिमय में बाजार में सामान्य उतार-चढ़ाव के बारे में पुनर्निर्माण बैंक द्वारा वहन किया जाएगा ;

(ii) किसी हानि या लाभ की प्रतिपूर्ति या संदाय विदेशी विनिमय में बाजार के सामान्य उतार-चढ़ाव से भिन्न उतार-चढ़ाव के बारे में, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसको किया जाएगा ।

स्पष्टीकरण-यदि इस बारे में कोई प्रश्न उत्पन्न होता है कि पूर्वोक्त कोई उतार-चढ़ाव सामान्य उतार-चढ़ाव है या नहीं तो उसका विनिश्चय केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाएगा, और उस पर उसका विनिश्चय अन्तिम होगा ।

24. पुनर्निर्माण बैंक को अनुदान, संदान आदि-पुनर्निर्माण बैंक, सरकार या किसी अन्य स्रोत से दान, अनुदान, संदान या उपकृतियां प्राप्त कर सकेगा ।

अध्याय 6

पुनर्निर्माण सहायता निधि

25. पुनर्निर्माण सहायता निधि-पुनर्निर्माण बैंक नियत दिन से विशेष निधि स्थापित करेगा जिसका नाम पुनर्निर्माण सहायता निधि होगा ।

26. पुनर्निर्माण सहायता निधि में जमा किया जाना-पुनर्निर्माण सहायता निधि में निम्नलिखित जमा किए जाएंगे, अर्थात् :-

(क) उस निधि के प्रयोजनों के लिए सरकार से या किसी अन्य स्रोत से उधार, दान, अनुदान, संदान या उपकृति के रूप में प्राप्त की गई सभी रकमें ;

(ख) उस निधि से अनुदत्त उधार, अग्रिम धन या अन्य सुविधाओं की बाबत प्रतिसंदाय या वसूली ;

(ग) उस निधि में से किए गए विनिधानों से आय या लाभ ;

(घ) धारा 27 के उपबन्धों के अनुसार उस निधि के उपयोजन के कारण ब्याज के रूप में या अन्यथा प्रोद्भूत या उद्भूत होने वाली आय ।

27. पुनर्निर्माण सहायता निधि का उपयोग-(1) जहां पुनर्निर्माण बैंक ऐसा करना आवश्यक या वांछनीय समझता है वहां वह, उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, धारा 1 8 के अधीन किसी उधार या अग्रिम धन के अनुदान के कारण या परिणामस्वरूप अथवा कोई ठहराव करने के कारण या परिणामस्वरूप कोई रकम पुनर्निर्माण सहायता निधि में से संवितरित या व्यय कर सकेगा :

परन्तु पुनर्निर्माण बैंक किसी औद्योगिक समुत्थान को ऐसा उधार या अग्रिम धन अनुदत्त करने अथवा किसी औद्योगिक समुत्थान से या उसके संबंध में ऐसा कोई ठहराव करने से पहले केन्द्रीय सरकार का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करेगा ।

(2) जहां पुनर्निर्माण बैंक ऐसा करना आवश्यक या वांछनीय समझता है वहां वह, उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, धारा 18 में विनिर्दिष्ट एक या अधिक प्रयोजनों के लिए कोई रकम पुनर्निर्माण सहायता निधि में से संवितरित या व्यय कर सकेगा ।

(3) उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार का अनुमोदन मांगने से पहले, पुनर्निर्माण बैंक अपना यह समाधान करेगा कि बैंककारी या अन्य वित्तीय संस्थाओं या अन्य अभिकरणों द्वारा, कारबार में मामूली अनुक्रम में औद्योगिक समुत्थान को ऐसा उधार या अग्रिम धन अनुदत्त करने अथवा औद्योगिक समुत्थान से या उसके संबंध में ऐसा ठहराव करने की संभावना नहीं है ।

(4) केन्द्रीय सरकार, अपना अनुमोदन देने से पहले अपना यह समाधान करेगी कि ऐसा उधार, अग्रिम धन या ठहराव औद्योगिक पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन, पुनरुद्धार या विकास के हित में पूर्विकता के आधार पर आवश्यक है ।

(5) शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि इस धारा की किसी बात से यह नहीं समझा जाएगा कि वह पुनर्निर्माण बैंक को केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन के बिना धारा 18 की उपधारा (1) के खंड (क) या खंड (ख) के अधीन कोई उधार या अग्रिम धन अनुदत्त करने या कोई ठहराव करने से उस दशा में प्रवारित करती है जबकि उसके बारे में कोई रकम पुनर्निर्माण सहायता निधि में से संवितरित या व्यय नहीं की जानी है ।

28. पुनर्निर्माण सहायता निधि में से विकलन-(1) पुनर्निर्माण सहायता निधि में से निम्नलिखित को विकलित किया जाएगा, अर्थात् :-

(क) ऐसी रकमें, जो धारा 27 के अधीन समय-समय पर संवितरित या व्यय की जाएं ;

( ख ) ऐसी रकमें , जो उस निधि में प्रयोजनों के लिए प्राप्त उधारों की बाबत दायित्वों के निर्वहन के लिए अपेक्षित हों ;

(ग) उस निधि में से किए गए विनिधान के कारण उद्भूत होने वाली कोई हानि ; और

(घ) उस निधि के प्रशासन और उपयोजन से या उसके संबंध में उद्भूत होने वाला ऐसा व्यय, जो बोर्ड द्वारा अवधारित किया जाए ।

(2) उपधारा (1) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, कोई रकम पुनर्निर्माण सहायता निधि में से विकलित नहीं की जाएगी ।

29. पुनर्निर्माण सहायता निधि के लेखे और संपरीक्षा-(1) पुनर्निर्माण सहायता निधि का तुलनपत्र और लेखे ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से तैयार किए जाएंगे जो विनियमों में उपबंधित की जाए ।

(2) बोर्ड, निधि की बहियों और लेखाओं की प्रत्येक वर्ष जून 30 को [या ऐसी अन्य तारीख को, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे,] बंद और संतुलित करवाएगा :

1[परंतु केन्द्रीय सरकार, इस उपधारा के अधीन, एक लेखा अवधि से दूसरी लेखा अवधि को संक्रमण को सुकर बनाने की दृष्टि से, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी, जो वह संबंधित वर्षों की बाबत बहियों या लेखाओं को बंद और संतुलित करने के लिए या उससे संबंधित अन्य विषयों के लिए आवश्यक या समीचीन समझती है ।]

(3) पुनर्निर्माण सहायता निधि की संपरीक्षा, केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 34 के अधीन नियुक्त एक या अधिक संपरीक्षकों द्वारा की जाएगी जो उस पर पृथक रिपोर्ट देंगे ।

(4) धारा 34 की उपधारा (2), उपधारा (3), उपधारा (4) और उपधारा (6) के उपबंध, पुनर्निर्माण सहायता निधि की संपरीक्षा के संबंध में, जहां तक हो सके, वैसे ही लागू होंगे जैसे वे पुनर्निर्माण बैंक के लेखाओं की संपरीक्षा के संबंध में लागू होते हैं ।

(5) पुनर्निर्माण बैंक, केन्द्रीय सरकार को तुलनपत्र और लेखाओं की प्रति और साथ ही संपरीक्षकों की रिपोर्ट की प्रति और सुसंगत वर्ष के दौरान, उस निधि की संक्रिया की रिपोर्ट की प्रति उस निधि के लेखाओं के बंद और संतुलित किए जाने की तारीख से चार मास के भीतर देगा और केन्द्रीय सरकार, अपने द्वारा उनके प्राप्त किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, उन्हें संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी ।

30. पुनर्निर्माण सहायता निधि का समापन-पुनर्निर्माण सहायता निधि केन्द्रीय सरकार के आदेश से और ऐसी रीति से ही, जो केन्द्रीय सरकार निर्दिष्ट करे, बंद या परिसमापित की जाएगी, अन्यथा नहीं ।

अध्याय 7

साधारण निधि, लेखे और संपरीक्षा

31. साधारण निधि-पुनर्निर्माण बैंक की ऐसी सभी प्राप्तियां, जो उनसे भिन्न हैं, जिन्हें इस अधिनियम के अधीन पुनर्निर्माण सहायता निधि में जमा किया जाता है, एक निधि में जमा की जाएंगी, जिसका नाम साधारण निधि होगा और पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किए गए ऐसे सभी संदाय, जो उनसे भिन्न हैं, जिन्हें पुनर्निर्माण सहायता निधि में से विकलित किया जाना है, साधारण निधि में से किए जाएंगे ।

32. लेखाओं और तुलनपत्र का तैयार किया जाना-(1) पुनर्निर्माण बैंक का तुलनपत्र और लेखे ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से तैयार किए जाएंगे जो विनियमों में उपबंधित की जाए ।

(2) बोर्ड, पुनर्निर्माण बैंक की बहियों और लेखाओं को प्रत्येक वर्ष 30 जून को [या ऐसी अन्य तारीख को, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे,] बंद और संतुलित करवाएगा :

2[परंतु केन्द्रीय सरकार, इस उपधारा के अधीन, एक लेखा अवधि से दूसरी लेखा अवधि को संक्रमण को सुकर बनाने की दृष्टि से, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी, जो वह संबंधित वर्षों की बाबत बहियों या लेखाओं को बंद और संतुलित करने के लिए या उससे संबंधित अन्य विषयों के लिए आवश्यक या समीचीन समझती है ।]

33. साधारण निधि को प्रोद्भूत होने वाले लाभों का व्ययन-(1) पुनर्निर्माण बैंक आरक्षित निधि की स्थापना कर सकेगा जिसमें साधारण निधि को प्रोद्भूत होने वाले वार्षिक लाभों में से ऐसी राशियां, जो वह ठीक समझे, अन्तरित की जा सकेंगी ।

(2) डूबंत और शंकास्पद ऋणों, आस्तियों के अवक्षयण और ऐसी सभी बातों के लिए, जिनके लिए उपबन्ध आवश्यक या समीचीन है अथवा जिनके लिए उपबन्ध बैंककारों द्वारा प्रायः किया जाता है तथा उपधारा (1) में निर्दिष्ट आरक्षित निधि के लिए उपबन्ध करने के पश्चात्, पुनर्निर्माण बैंक शुद्ध लाभों का अतिशेष केन्द्रीय सरकार को अन्तरित करेगा ।

34. संपरीक्षा-(1) पुनर्निर्माण बैंक के लेखाओं की संपरीक्षा, ऐसे संपरीक्षकों द्वारा की जाएगी जो कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 226 की उपधारा (1) के अधीन संपरीक्षकों के रूप में कार्य करने के लिए सम्यक् रूप से अर्हित हैं और जो केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसी अवधि के लिए और ऐसे पारिश्रमिक पर नियुक्त किए जाएंगे जो केन्द्रीय सरकार नियत करे ।

(2) संपरीक्षकों को पुनर्निर्माण बैंक के वार्षिक तुलनपत्र की प्रति दी जाएगी और उनका यह कर्तव्य होगा कि वे उसकी और उसके साथ ही उससे संबंधित लेखाओं और बाउचरों की परीक्षा करें तथा उन्हें पुनर्निर्माण बैंक द्वारा रखी गई सभी बहियों की सूची परिदत्त की जाएगी और सभी युक्तियुक्त समयों पर पुनर्निर्माण बैंक की बहियों, लेखाओं, बाउचरों और अन्य दस्तावेजों तक उनकी पहुंच होगी ।

(3) संपरीक्षक ऐसे लेखाओं के संबंध में, पुनर्निर्माण बैंक के किसी निदेशक या अधिकारी या अन्य कर्मचारी की परीक्षा कर सकेंगे और वे इस बात के हकदार होंगे कि वे बोर्ड से या पुनर्निर्माण बैंक के अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों से ऐसी जानकारी और स्पष्टीकरण की अपेक्षा करें, जो वे अपने कर्त्तव्यों के पालन के लिए आवश्यक समझें ।

(4) संपरीक्षक, अपने द्वारा परीक्षित वार्षिक तुलनपत्र और लेखाओं पर रिपोर्ट, पुनर्निर्माण बैंक को देंगे और ऐसी प्रत्येक रिपोर्ट में वे यह कथन करेंगे कि क्या उनकी राय में तुलनपत्र पूर्ण और सही तुलनपत्र है जिसमें सभी आवश्यक विशिष्टियां हैं और वह उचित रूप से लिखा गया है जिससे पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकलापों की स्थिति का सच्चा और सही रूप प्रदर्शित होता है और यदि उन्होंने बोर्ड से या पुनर्निर्माण बैंक के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी से कोई स्पष्टीकरण या जानकारी मांगी थी तो क्या वह दी जा चुकी है और क्या वह समाधानप्रद है ।

(5) पुनर्निर्माण बैंक, केन्द्रीय सरकार को अपने तुलनपत्र और लेखाओं की प्रति और साथ ही संपरीक्षकों, की रिपोर्ट की प्रति और सुसंगत वर्ष के दौरान पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकरण की रिपोर्ट, वार्षिक लेखाओं के बंद और संतुलित किए जाने की तारीख से चार मास के भीतर देगा और केन्द्रीय सरकार, अपने द्वारा उनके प्राप्त किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, उन्हें संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी ।

(6) पूर्वगामी उपधाराओं की किसी बात पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को पुनर्निर्माण बैंक के लेखाओं की परीक्षा करने और उन पर रिपोर्ट देने के लिए किसी भी समय नियुक्त कर सकेगी और ऐसी परीक्षा और ऐसी रिपोर्ट के संबंध में उसके द्वारा उपगत कोई व्यय भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को पुनर्निर्माण बैंक द्वारा संदेय होगा ।

35. व्यावृत्ति-धारा 29 की उपधारा (4) में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, इस अध्याय की कोई बात पुनर्निर्माण सहायता निधि को लागू नहीं होगी ।

अध्याय 8

पुनर्निर्माण बैंक की विशेष शक्तियां

36. सहायता के लिए शर्तें अधिरोपित करने की शक्ति-(1) पुनर्निर्माण बैंक, धारा के अधीन किसी औद्योगिक समुत्थान से कोई ठहराव करने में, ऐसी शर्तें अधिरोपित कर सकेगा, जो वह पुनर्निर्माण बैंक के हितों का संरक्षण करने के लिए और वह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक या समीचीन समझे कि उसके द्वारा अनुदत्त सहायता का औद्योगिक समुत्थान द्वारा सर्वोत्तम उपयोग किया जाए ।

(2) जहां पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किसी औद्योगिक समुत्थान से किए गए किसी ठहराव में ऐसे औद्योगिक समुत्थान के एक या अधिक निदेशकों की पुनर्निर्माण बैंक द्वारा नियुक्ति के लिए उपबंध है वहां ऐसा उपबंध और उसके अनुसरण में की गई निदेशकों की कोई नियुक्ति, कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में या औद्योगिक समुत्थान से संबंधित संगम-ज्ञापन, संगम-अनुच्छेद या किसी अन्य लिखत में किसी बात के होते हुए भी, विधिमान्य और प्रभावी होगी और शेयर अर्हता, आयु-सीमा, निदेशक पदों की संख्या, निदेशकों के पद से हटाए जाने से संबंधित कोई उपबंध और ऐसी ही अन्य शर्तें, जो ऐसी किसी विधि या पूर्वोक्त लिखत में हैं, पूर्वोक्त ठहराव के अनुसरण में पुनर्निर्माण बैंक द्वारा नियुक्त किसी निदेशक को लागू नहीं होंगी ।

(3) उपधारा (2) के अनुसरण में नियुक्त कोई निदेशक-

(क) पुनर्निर्माण बैंक के प्रसाद-पर्यन्त पद धारण करेगा और पुनर्निर्माण बैंक के लिखित आदेश द्वारा हटाया जा सकेगा या उसके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को रखा जा सकेगा ;

(ख) निदेशक होने के कारण ही, या ऐसी किसी बात के लिए, जिसे निदेशक के रूप में अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में सद्भावपूर्वक किया गया है या करने का लोप किया गया है अथवा उससे संबंधित किसी बात के लिए, कोई बाध्यता या दायित्व उपगत नहीं करेगा ;

(ग) चक्रानुक्रम से निवर्तन के लिए दायी नहीं होगा और ऐसे निवर्तन के लिए दायी निदेशकों की संख्या की संगणना करने में उसे गिनती में नहीं लिया जाएगा ।

37. औद्योगिक समुत्थान को सहायता, प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित सम्पत्ति पर भार के रूप में कब प्रवर्तित होगी-(1) जहां कोई व्यक्ति या औद्योगिक समुत्थान अपनी या औद्योगिक समुत्थान की किसी स्थावर सम्पत्ति की प्रतिभूति पर या किसी ऐसे व्यक्ति की सम्पत्ति की प्रतिभूति पर, जिसकी सम्पत्ति ऐसी सहायता के लिए सांपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित की गई है वहां, यथास्थिति, ऐसा व्यक्ति या औद्योगिक समुत्थान या ऐसा अन्य व्यक्ति पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्ररूप में लिखित घोषणा को, जिसमें उस स्थावर सम्पत्ति की, जो ऐसी सहायता के लिए, यथास्थिति, प्रतिभूति या सांपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित किए जाने के लिए प्रस्तावित है, विशिष्टियां कथित करते हुए निष्पादित कर सकेगा और इससे सहमत होगा कि ऐसी सहायता से, यदि अनुदत्त की गई तो, संबंधित शोध्य धन ऐसी संपत्ति पर भार होगा और यदि ऐसी घोषणा की प्राप्ति पर पुनर्निर्माण बैंक पूर्वोक्त व्यक्ति या औद्योगिक समुत्थान को कोई सहायता अनुदत्त करता है तो ऐसी सहायता से संबंधित शोध्य धन इस प्रकार विनिर्दिष्ट संपत्ति के संबंध में कोई पूर्विक भार या बंधक धारण करने वाले किसी अन्य लेनदार के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस धारा के उपबंधों के आधार पर, पूर्वोक्त घोषणा में विनिर्दिष्ट संपत्ति पर भार होगा ।

(2) जहां उपधारा (1) में निर्दिष्ट सहायता के लिए कोई और स्थावर संपत्ति प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित की जाती है वहां, जहां तक हो सके, पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्ररूप में नई घोषणा की जाएगी ।

(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्रत्येक घोषणा के बारे में यह समझा जाएगा कि वह रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का 16) के उपबंधों के अधीन करार के रूप में रजिस्टर करने योग्य दस्तावेज है और ऐसी कोई घोषणा तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक वह इस प्रकार रजिस्टर नहीं की जाती है ।

38. करार पाई गई अवधि के पूर्व प्रतिसंदाय के लिए मांग करने की शक्ति-किसी करार में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, पुनर्निर्माण बैंक, लिखित सूचना द्वारा, ऐसे किसी औद्योगिक समुत्थान से, जिसको उसने सहायता अनुदत्त की है, यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह पुनर्निर्माण बैंक को तत्काल अपने संपूर्ण शोध्य धनों का उन्मोचन करे और उसके प्रति अपने अन्य दायित्वों का भी उन्मोचन करे-

(क) यदि बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि सहायता के लिए आवेदन में किसी तात्त्विक विशिष्टि में मिथ्या या भ्रामक जानकारी दी गई थी ; या

(ख) यदि औद्योगिक समुत्थान सहायता के विषय में पुनर्निर्माण बैंक के साथ अपने करार के निबंधनों का अनुपालन करने में असफल रहा है ; या

(ग) यदि इस बात की युक्तियुक्त आशंका है कि औद्योगिक समुत्थान अपने ऋणों का संदाय करने में असमर्थ है या उसके संबंध में समापन के लिए कार्यवाहियां प्रारम्भ कर दी गई है या की जा सकेंगी ;

(घ) यदि सहायता के लिए प्रतिभूति के रूप में पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई सम्पत्ति का औद्योगिक समुत्थान द्वारा पुनर्निर्माण बैंक के समाधानप्रद रूप में बीमा नहीं कराया गया है और वह बीमाकृत नहीं रखी गई है या यदि ऐसी सम्पत्ति के मूल्य का ऐसी सीमा तक अवक्षयण हो जाता है कि बोर्ड की राय में, बोर्ड के समाधानप्रद रूप में और प्रतिभूति दी जाए तथा ऐसी प्रतिभूति नहीं दी गई है ; या

(ङ) यदि बोर्ड की अनुज्ञा के बिना किसी मशीनरी, संयंत्र या अन्य उपस्कर को, चाहे वह प्रतिभूति का भाग हो या अन्यथा , यथास्थिति , उपक्रम या औद्योगिक समुत्थान के परिसर से प्रतिस्थापित किए बिना हटाया जाता है ; या

(च) यदि किसी अन्य कारण से पुनर्निर्माण बैंक के हितों का संरक्षण करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है ।

39. व्यतिक्रम की दशा में पुनर्निर्माण बैंक के अधिकार-(1) जहां ऐसा कोई सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान, जो पुनर्निर्माण बैंक के साथ किसी करार के अधीन पुनर्निर्माण बैंक के प्रति किसी दायित्व के अधीन है, किसी शोध्य धन के संदाय में या पुनर्निर्माण बैंक द्वारा दी गई किसी अन्य सहायता के संबंध में अपनी बाध्यताओं को पूरा करने में कोई व्यतिक्रम करता है या उस बैंक के साथ करार के निबंधनों का अनुपालन करने में अन्यथा असफल रहता है वहां पुनर्निर्माण बैंक को औद्योगिक समुत्थान का प्रबन्ध या कब्जा, या दोनों, ग्रहण करने का अधिकार होगा और साथ ही उसे यह भी अधिकार होगा कि वह अपने शोध्य धन को वसूल करने के प्रयोजन के लिए या औद्योगिक समुत्थान के पुनरुज्जीवन के लिए पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई सम्पत्ति का पट्टे या विक्रय के रूप में अन्तरण करे ।

(2) उपधारा (1) द्वारा पुनर्निर्माण बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसके द्वारा किए गए संपत्ति के किसी अंतरण में, अंतरित संपत्ति में या उसके संबंध में अधिकार अंतरिती में इस प्रकार निहित हो जाएंगे मानो अंतरण ऐसी सम्पत्ति के स्वामी द्वारा किया गया हो ।

(3) पुनर्निर्माण बैंक को अपने द्वारा धृत प्रतिभूति के भागरूप माल से पूर्णतः या भागतः, विनिर्मित या उत्पादित माल के संबंध में वही अधिकार और शक्तियां होंगी जो उसे मूल माल मे संबंध में थीं ।

(4) जहां उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन किसी औद्योगिक समुत्थान के संबंध में कोई कार्रवाई की गई है वहां सभी खर्चे, प्रभार और व्यय, जो पुनर्निर्माण बैंक की राय में उसके द्वारा, उनके आनुषंगिक रूप में, उचित रूप से उपगत किए गए हैं, औद्योगिक समुत्थान से वसूलीय होंगे और वह धन, जो पुनर्निर्माण बैंक द्वारा प्राप्त किया जाता है, किसी प्रतिकूल संविदा के अभाव में, उसके द्वारा न्यास के रूप में धारित किया जाएगा, जो प्रथमतः ऐसे खर्चों, प्रभारों और व्ययों के संदाय में, और द्वितीयतः पुनर्निर्माण बैंक के शोध्य धन के उन्मोचन में उपयोजित किया जाएगा और इस प्रकार प्राप्त धन का अवशिष्ट उसके हकदार व्यक्ति को, उसके अधिकारों और हितों के अनुसार, संदत्त किया जाएगा ।

(5) जहां पुनर्निर्माण बैंक उपधारा (1) के अधीन किसी औद्योगिक समुत्थान का प्रबंध ग्रहण कर लेता है या कब्जा ले लेता है वहां ऐसा औद्योगिक समुत्थान , अपने नाम से वाद ला सकेगा और उस पर वाद लाया जा सकेगा ।

40. पुनर्निर्माण बैंक द्वारा दावों का प्रवर्तन-(1) (क) जहां कोई सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थान, पुनर्निर्माण बैंक को किसी शोध्य धन का संदाय करने या पुनर्निर्माण बैंक द्वारा दी गई किसी अन्य सहायता के संबंध में अपनी बाध्यता को पूरा करने में व्यतिक्रम करता है या उस बैंक के साथ किए गए करार के निबंधनों का अनुपालन करने में अन्यथा असफल रहता है ; या

(ख) जहां पुनर्निर्माण बैंक सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थान से, उसे प्रदान की गई किसी सहायता का तुरन्त प्रतिसंदाय करने की अपेक्षा करते हुए धारा 38 के अधीन कोई आदेश करता है और औद्योगिक समुत्थान ऐसा प्रतिसंदाय करने में असफल रहता है,

वहां इस अधिनियम की धारा 39 और संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) की धारा 69 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस निमित्त बोर्ड द्वारा साधारणतया या विशेष रूप से प्राधिकृत पुनर्निर्माण बैंक का कोई अधिकारी, संबंधित उच्च न्यायालय को, निम्नलिखित किसी एक अधिक अनुतोषों के लिए आवेदन कर सकेगा, अर्थात् :-

(i) उसे अनुदत्त की गई सहायता के लिए प्रतिभूति के रूप मे पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई संपत्ति के विक्रय या पट्टे के लिए अथवा औद्योगिक समुत्थान की किसी अन्य संपत्ति के विक्रय या पट्टे के लिए आदेश ; या

(ii) औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्ध का पुनर्निर्माण बैंक को या उसके किसी नामनिर्देशिती को अंतरण ; या

(iii) औद्योगिक समुत्थान को अपनी मशीनरी, संयत्र या उपस्कर को, बोर्ड की अनुज्ञा के बिना औद्योगिक समुत्थान के परिसर से अंतरित करने या हटाने से जहां ऐसे अंतरण या हटाए जाने की आशंका है वहां अवरुद्ध करने वाला अंतरिम व्यदेश ; या

(iv) किसी रिसीवर की नियुक्ति का आदेश जहां ऐसी आशंका है कि ऐसी मशीनरी, उपस्कर या सारवान् मूल्य की कोई अन्य संपत्ति, जो पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई है, पुनर्निर्माण बैंक की पूर्व अनुज्ञा के बिना औद्योगिक समुत्थान के परिसर से हटाई जा रही है या अंतरित की जा रही है ।

(2) उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन में, पुनर्निर्माण बैंक के प्रति औद्योगिक समुत्थान के दायित्व की प्रकृति और मात्रा, वह आधार जिस पर वह किया गया है और ऐसी अन्य विशिष्टियां जो ऐसे अनुतोष को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हों, जिसके लिए प्रार्थना की गई है, कथित की जाएंगी ।

(3) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के उपखंड (i) में उल्लिखित किसी अनुतोष के लिए है वहां उच्च न्यायालय,-

(क) आदेश द्वारा पुनर्निर्माण बैंक को प्राधिकृत कर सकेगा कि वह ऐसे व्यक्ति को और ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो उक्त आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएं, ऐसी संपत्ति का पट्टा अनुदत्त करे ; या

(ख) ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जिसमें ऐसे व्यक्ति से, जिसकी संपत्ति पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई है, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई है, यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ऐसी तारीख को, जो सूचना में विनिर्दिष्ट की जाएगी, इस बारे में हेतुक दर्शित करे कि ऐसी संपत्ति या ऐसी संपत्ति के उतने भाग का विक्रय आदेश क्यों न पारित किया जाएं जिसके विक्रय किए जाने से, उसके प्राक्कलन के अनुसार, पुनर्निर्माण बैंक के प्रति औद्योगिक समुत्थान के बकाया शोध्य धन के मूल्य के समतुल्य रकम इस धारा के अधीन की गई कार्यवाहियों के खर्चें सहित वसूल हो सकें ; या

(ग) औद्योगिक समुत्थान के किसी ऐसी सम्पत्ति को, जो पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित नहीं की गई, भारित नहीं की गई, आडमान नहीं की गई है, बंधक नहीं रखी गई, या गिरवी नहीं रखी गई है अथवा ऐसी संपत्ति के उतने भाग को जिसके विक्रय किए जाने से, उसके प्राक्कलन के अनुसार, पुनर्निर्माण बैंक के प्रति औद्योगिक समुत्थान के बकाया शोध्य धन के मूल्य के समतुल्य रकम इस धारा के अधीन की गई कार्यवाहियों के खर्चे सहित वसूल हो सके, कुर्क करने के लिए अतंरिम आदेश पारित कर सकेगी तथा ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जिसमें औद्योगिक समुत्थान से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ऐसी तारीख को, जो सूचना में विनिर्दिष्ट की जाएगी, इस बारे में हेतुक दर्शित करे कि कुर्की के ऐसे अन्तरिम आदेश को क्यों न अंतिम बना दिया जाए ।

(4) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के उपखंड (ii) में उल्लिखित अनुतोष के लिए है वहां उच्च न्यायालय ऐसी सूचना जारी करेगा जिसमें औद्योगिक समुत्थान से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ऐसी तारीख को, जो सूचना में विनिर्दिष्ट की जाएगी, इस बारे में हेतुक दर्शित करे कि औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्ध को पुनर्निर्माण बैंक या उसके किसी नामनिर्देशिती को क्यों न अन्तरित कर दिया जाए ।

(5) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के उपखंड (iii) में उल्लिखित अनुतोष के लिए है वहां उच्च न्यायालय औद्योगिक समुत्थान को अपनी मशीनरी या अन्य उपस्कर को अन्तरित करने या हटाने से अवरुद्ध करने के लिए अन्तरिम आदेश देगा और ऐसी सूचना जारी करेगा जिसमें औद्योगिक समुत्थान से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ऐसी तारीख को, जो सूचना में निर्दिष्ट की जाएगी, इस बारे में हेतुक दर्शित करे कि ऐसे अन्तरिम व्यादेश को क्यों न अन्तिम बना दिया जाए ।

(6) जहां कोई आवेदन उपधारा (1) के उपखंड (iv) में उल्लिखित अनुतोष के लिए है वहां उच्च न्यायालय समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई संपत्ति की बाबत रिसीवर नियुक्त करके अन्तरिम आदेश पारित करेगा और ऐसी सूचना जारी करेगा जिसमें औद्योगिक समुत्थान से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह ऐसी तारीख को, जो सूचना में विनिर्दिष्ट की जाएगी, इस बारे में हेतुक दर्शित करे कि रिसीवर को नियुक्त करने वाले अन्तरिम आदेश को क्यों न अन्तिम बना दिया जाए ।

(7) यदि उच्च न्यायालय द्वारा जारी की गई सूचना में विनिर्दिष्ट तारीख को या उसके पूर्व कोई हेतुक दर्शित नहीं किया जाता है तो न्यायालय, तत्काल,-

(क) ऐसी संपत्ति के, जो पुनर्निर्माण बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या गिरवी रखी गई है या ऐसी संपत्ति के उतने भाग के विक्रय के लिए आदेश करेगा जिसके विक्रय किए जाने से, उसके प्राक्कलन के अनुसार, पुनर्निर्माण बैंक के प्रति औद्योगिक समुत्थान के बकाया शोध्य धन के मूल्य के समतुल्य रकम इस धारा के अधीन की गई कार्यवाहियों के खर्चे सहित वसूल हो सके ;

(ख) कुर्क की गई संपत्ति के विक्रय के लिए या औद्योगिक समुत्थान के प्रबंध को पुनर्निर्माण बैंक या उसके नामनिर्देशिती को अन्तरित किए जाने के लिए निदेश देगा,

और ऐसे विक्रय के आगमों को पुनर्निर्माण बैंक को शोध्य धन के उन्मोचन के लिए उपयोजित करेगा और ऐसे आगमों का अवशिष्ट, यदि कोई हो, उसके लिए हकदार व्यक्ति को, उसके अधिकारों और हितों के अनुसार, दे दिया जाएगा ;

(ग) यथास्थिति, उपधारा (5) के अधीन किए गए अन्तरिम व्यादेश को और उपधारा (6) के अधीन किए गए रिसीवर की नियुक्ति के अन्तरिम आदेश को अन्तिम बना देगा ।

(8) यदि हेतुक दर्शित किया जाता है तो उच्च न्यायालय पुनर्निर्माण बैंक के दावे का अन्वेषण करने के लिए अग्रसर होगा और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के उपबन्ध, यावत्साध्य, ऐसी कार्यवाहियों को लागू होंगे ।

(9) उपधारा (8) के अधीन किए गए अन्वेषण के आधार पर, उच्च न्यायालय,-

(क) ऐसी संपत्ति के, जो पुनर्निर्माण या गिरवी रखी गई है बैंक को समनुदेशित की गई, भारित की गई, आडमान की गई, बंधक रखी गई या ऐसी संपत्ति के उतने भाग के विक्रय के लिए, आदेश पारित कर सकेगा, जिसके विक्रय के किए जाने से, उसके प्राक्कलन के अनुसार, पुनर्निर्माण बैंक के प्रति सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थान के बकाया शोध्य धन के मूल्य के समतुल्य रकम इस धारा के अधीन की गई कार्यवाहियों के खर्चें सहित वसूल हो सकें ; या

(ख) कुर्की के आदेश को पुष्ट करके और कुर्क सम्पत्ति के विक्रय का निदेश देकर या सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्ध को पुनर्निर्माण बैंक या उसके नामनिर्देशितों को अन्तरित करके आदेश पारित कर सकेगा ; या

(ग) कुर्की के आदेश को इस प्रकार परिवर्तित करके जिससे सम्पत्ति का कोई भाग कुर्की से निर्मुक्त हो जाए और कुर्क की गई सम्पत्ति के शेष भाग के विक्रय के लिए निदेश देकर आदेश पारित कर सकेगा,

और ऐसे विक्रय के आगमों को पुनर्निर्माण बैंक के शोध्य धन के उन्मोचन के लिए उपयोजित करेगा और ऐसे आगमों का अवशिष्ट, यदि कोई हो, उसके लिए हकदार व्यक्ति को, उसके अधिकारों और हितों के अनुसार, दे दिया जाएगा ;

(घ) संपत्ति की कुर्की से निर्मुक्त करके आदेश पारित कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि यह पुनर्निर्माण बैंक के हित में आवश्यक नहीं है ; या

(ङ) व्यादेश या रिसीवर की नियुक्ति के आदेश को पुष्ट करके या रद्द करके आदेश पारित कर सकेगा :

परन्तु जब खंड (घ) के अधीन आदेश किया जाए तब उच्च न्यायालय ऐसे अतिरिक्त आदेश कर सकेगा जो वह पुनर्निर्माण बैंक के हित के संरक्षण के लिए उचित समझे और कार्यवाहियों के खर्चे को ऐसी रीति से प्रभाजित कर सकेगा जो वह ठीक समझे :

परन्तु यह और कि जब तक पुनर्निर्माण बैंक उच्च न्यायालय को यह सूचित नहीं कर देता है कि वह किसी सम्पत्ति को किसी कुर्की से निर्मुक्त करने वाले आदेश के विरुद्ध कोई अपील नहीं करेगा तब तक कि ऐसे आदेश को उस समय तक प्रभावी नहीं किया जाएगा जब तक उपधारा (12) के अधीन नियत ऐसी, अवधि समाप्त नहीं हो जाती है जिसके भीतर अपील की जा सकेगी या यदि अपील की जाती है तो, जब तक वह न्यायालय, जो उक्त उच्च न्यायालय के विनिश्चयों से अपील की सुनवाई करने के लिए सशक्त है, अन्यथा निदेश नहीं देता है और जब तक अपील का निपटारा नहीं कर दिया जाता है ।

(10) इस धारा के अधीन किसी सम्पत्ति के कुर्की आदेश या विक्रय आदेश को, किसी डिक्री के निष्पादन में सम्पत्ति की कुर्की या विक्रय के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) में उपबंधित रीति से यावत्साध्य, इस प्रकार प्रभावी किया जाएगा मानो पुनर्निर्माण बैंक डिक्री धारक हो ।

(11) इस धारा के अधीन किसी औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्ध को पुनर्निर्माण बैंक या उसके नामनिर्देशिती को अन्तरित करने वाले आदेश को, किसी डिक्री के निष्पादन में स्थावर सम्पत्ति के कब्जे या जंगम सम्पत्ति के परिदान के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) में उपबंधित रीति यावत्साध्य, इस प्रकार प्रभावी किया जाएगा मानो पुनर्निर्माण बैंक या उसका नामनिर्देशिती डिक्री धारक हो ।

(12) उपधारा (3), उपधारा (7) या उपधारा (9) के अधीन किसी आदेश से व्यथित कोई पक्षकार, आदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर, ऐसे न्यायालय को अपील कर सकेगा जो ऐसे उच्च न्यायालय के, जिसने आदेश पारित किया है, विनिश्चयों की अपीलों की सुनवाई करने के लिए सशक्त है और अपील न्यायालय पक्षकारों की सुनवाई करने के पश्चात् ऐसे आदेश पारित कर सकेगा जो वह उचित समझे ।

(13) जहां किसी औद्योगिक समुत्थान की बाबत समापन की कार्यवाहियां उपधारा (1) के अधीन आवेदन किए जाने के पूर्व आरम्भ हो गई है वहां इस धारा की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह पुनर्निर्माण बैंक को औद्योगिक समुत्थान के अन्य लेनदारों की अपेक्षा ऐसा अधिमान देती है जो किसी अन्य विधि द्वारा उसे प्रदत्त नहीं किया गया है ।

41. प्राथमिक या सांपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित संपत्ति के संबंध में पुनर्निर्माण बैंक की शक्ति-(1) जहां किसी व्यक्ति ने पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किसी औद्योगिक समुत्थान को या ऐसे व्यक्ति को दी गई सहायता के लिए किसी संपत्ति को, प्राथमिक या सांपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित किया है और औद्योगिक समुत्थान द्वारा या ऐसे व्यक्ति द्वारा पुनर्निर्माण बैंक के किसी शोध्य धन का संदाय करने में या पूर्वोक्त औद्योगिक समुत्थान को पुनर्निर्माण बैंक द्वारा दी गई सहायता के संबंध में किसी बाध्यता को पूरा करने में व्यतिक्रम किया गया है वहां पुनर्निर्माण बैंक को इस प्रकार प्रतिभूति के रूप में प्रस्थापित संपत्ति का प्रबन्ध या कब्जा या दोनों ग्रहण करने का अधिकार होगा और उसके शोध्य धन को वसूल करने के प्रयोजन के लिए पूर्वोक्त संपत्ति को पट्टे या विक्रय द्वारा अन्तरित करने का अधिकार होगा ।

(2) उपधारा (1) द्वारा पुनर्निर्माण बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, इसके द्वारा किए गए किसी संपत्ति के इस प्रकार अन्तरण से, अन्तरित संपत्ति में या उसके संबंध में अधिकार अंतरिती में इस प्रकार निहित हो जाएंगे मानो वह अन्तरण ऐसी संपत्ति के स्वामी द्वारा किया गया हो ।

(3) जहां उपधारा (1) के उपबन्धों के अधीन कोई कार्रवाई की गई है वहां ऐसे खर्चे, प्रभार और व्यय, जो पुनर्निर्माण बैंक की राय में उसके द्वारा, उनके आनुषंगिक रूप में, उचित रूप से उपगत किए गए हैं, उपधारा (1) में निर्दिष्ट संपत्ति के विक्रय या पट्टे द्वारा प्राप्त धन में से पुनर्निर्माण बैंक द्वारा वसूलीय होंगे और वह धन किसी प्रतिकूल संविदा के अभाव में, उसके द्वारा न्यास के रूप में धारित किया जाएगा जो प्रथमतः ऐसे खर्चे, प्रभारों और व्यय के संदाय में और द्वितीयतः पुनर्निर्माण बैंक के शोध्य धन के उन्मोचन के लिए उपयोजित किया जाएगा और इस प्रकार प्राप्त धन का अवशिष्ट उसके लिए हकदार व्यक्ति को, उसके अधिकारों और हितों के अनुसार, संदत्त किया जाएगा ।

(4) पुनर्निर्माण बैंक, उपधारा (1) द्वारा अपने को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के बजाय, उपधारा (1) में निर्दिष्ट संपत्ति के विक्रय या पट्टे के लिए अथवा किसी अन्य अनुतोष के लिए, ऐसे उच्च न्यायालय को, जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अधीन पूर्वोक्त संपत्ति स्थित है, आवेदन कर सकेगा और तब धारा 40 के उपबन्ध, संपत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) की धारा 69 के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उसको इस प्रकार लागू होंगे मानो पूर्वोक्त संपत्ति धारा 40 में निर्दिष्ट संपत्ति हो और तद्नुसार उच्च न्यायालय द्वारा शक्तियों का प्रयोग किया जा सकेगा ।

42. जब किसी औद्योगिक समुत्थान का प्रबंध ग्रहण कर लिया जाता है तब उसके निदेशकों या प्रशासकों को नियुक्त करने की पुनर्निर्माण बैंक की शक्ति-(1) जब पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किसी औद्योगिक समुत्थान का प्रबन्ध ग्रहण कर लिया जाता है तब वह बैंक, राजपत्र में अधिसूचित आदेश द्वारा, उतने व्यक्तियों को, जितने वह ठीक समझे,-

(क) किसी ऐसी दशा में, जिसमें वह औद्योगिक समुत्थान कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में परिभाषित कोई कंपनी है, उस औद्योगिक समुत्थान के निदेशकों के रूप में नियुक्त कर सकेगा ; या

(ख) किसी अन्य दशा में, उस समुत्थान के प्रशासक के रूप में नियुक्त कर सकेगा ।

(2) इस धारा के अधीन निदेशकों या प्रशासकों को नियुक्त करने की शक्ति के अन्तर्गत किसी व्यष्टि, फर्म या निगमित निकाय को औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्धक के रूप में ऐसे निबन्धनों और शर्तों पर, जो पुनर्निर्माण बैंक ठीक समझे, नियुक्त करने की शक्ति है ।

(3) शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि निदेशकों, प्रशासकों या प्रबन्धकों को नियुक्त करने की शक्ति के अंतर्गत इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति को हटाने या प्रतिस्थापित करने की शक्ति है ।

(4) कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या औद्योगिक समुत्थान से संबंधित किसी लिखत की कोई बात, जहां तक उसमें किसी निदेशक के संबंध में कोई शेयर अर्हता धारण करने, आयु-सीमा, निदेशक पदों की संख्या पर निर्बन्धन, चक्रानुक्रम से निवर्तन या पद से हटाए जाने के लिए उपबंध किया जाता है वहां तक इस धारा के अधीन पुनर्निर्माण बैंक द्वारा नियुक्त किसी निदेशक को लागू नहीं होगी ।

43. धारा 42 के अधीन अधिसूचित आदेश का प्रभाव - धारा 42 के अधीन कोई अधिसूचित आदेश निकाले जाने पर ,-

( क ) यदि औद्योगिक समुत्थान , कंपनी अधिनियम , 1956 (1956 का 1) में परिभाषित कंपनी है तो औद्योगिक समुत्थान , निदेशकों के रूप में पद धारण करने वाले सभी व्यक्तियों और किसी अन्य दशा में ऐसे सभी व्यक्तियों के बारे में , जो अधिसूचित आदेश के निकाले जाने के ठीक पूर्व औद्योगिक समुत्थान के अधीक्षण , निदेशन और नियंत्रण की शक्तियों वाला कोई पद धारण किए हुए हैं , यह समझा जाएगा कि उन्होंने उस रूप में अपना पद रिक्त कर दिया है ;

( ख ) औद्योगिक समुत्थान और उसके ऐसे किसी निदेशक या प्रबंधक के बीच , जो अधिसूचित आदेश के निकाले जाने के ठीक पूर्व उस रूप में पद धारण किए हुए हैं , किसी प्रबंध संविदा के बारे में यह समझा जाएगा कि वह समाप्त हो गई है ;

( ग ) धारा 42 के अधीन नियुक्त निदेशक या प्रशासक ऐसे कदम उठाएंगे जो ऐसी संपत्ति , चीजबस्त और अनुयोज्य दावों को , जिनके लिए औद्योगिक समुत्थान हकदार है या हकदार प्रतीत होता है , अपनी अभिरक्षा में या नियंत्रण के अधीन लेने के लिए आवश्यक हों और औद्योगिक समुत्थान की सभी संपत्ति और चीजबस्त के बारे में यह समझा जाएगा कि वह अधिसूचित आदेश की तारीख से ही , यथास्थिति , निदेशकों या प्रशासकों की अभिरक्षा में हैं ;

(घ) धारा 42 के अधीन नियुक्त निदेशक, सभी प्रयोजनों के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन सम्यक् रूप से गठित औद्योगिक समुत्थान के निदेशक होंगे और धारा 42 के अधीन नियुक्त, यथास्थिति, ऐसे निदेशक या प्रशासक ही औद्योगिक समुत्थान के, यथास्थिति, निदेशकों या उसके अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण की शक्तियों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों की सभी शक्तियों का प्रयोग करने के हकदार होंगे चाहे ऐसी शक्तियां उक्त अधिनियम से अथवा औद्योगिक समुत्थान के संगम-ज्ञापन या संगम-अनुच्छेद से या किसी अन्य स्रोत से व्युत्पन्न हुई हों ।

44. निदेशकों और प्रशासकों की शक्तियां और कर्तव्य-(1) पुनर्निर्माण बैंक के नियंत्रण के अधीन रहते हुए, धारा 42 के अधीन नियुक्त, यथास्थिति, निदेशक या प्रशासक ऐसे कदम उठाएंगे जो औद्योगिक समुत्थान के कारबार का दक्षतापूर्वक प्रबंध करने के प्रयोजन के लिए आवश्यक है और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेंगे और उनके ऐसे कर्तव्य होंगे जो विहित किए जाएं ।

(2) उपधारा (1) के अधीन उनमें निहित शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, धारा 42 के अधीन नियुक्त, यथास्थिति, निदेशक या प्रशासक, पुनर्निर्माण बैंक के पूर्व अनुमोदन से, धारा 42 के अधीन अधिसूचित आदेश के निकाले जाने के पूर्व किसी समय, औद्योगिक समुत्थान और किसी अन्य व्यक्ति के बीच की गई किसी संविदा या किसी करार को रद्द करने या परिवर्तित करने के प्रयोजन के लिए न्यायालय को आवेदन कर सकेंगे और यदि न्यायालय का सम्यक् जांच करने के पश्चात् यह समाधान हो जाता है कि ऐसी संविदा या करार असद्भावपूर्वक किया गया है और वह औद्योगिक समुत्थान के हितों के लिए हानिकर है तो वह उस संविदा या करार को रद्द करने या परिवर्तित करने का आदेश (बिना शर्त या ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो वह अधिरोपित करना ठीक समझे) कर सकेगा और वह संविदा या करार तद्नुसार प्रभावी होगा ।

45. प्रबंध निदेशक, आदि की संविदा की समाप्ति के लिए प्रतिकर का कोई अधिकार होना-(1) किसी संविदा या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, कोई प्रबन्ध निदेशक या पूर्णकालिक निदेशक या कोई अन्य निदेशक या प्रबन्धक या औद्योगिक समुत्थान के प्रबन्ध का भारसाधक कोई व्यक्ति, पद हानि या उसके द्वारा ऐसे समुत्थान के साथ की गई किसी प्रबन्ध संविदा की इस अधिनियम के अधीन समयपूर्व समाप्ति के लिए से वसूल करे ।

(2) उपधारा (1) की कोई बात ऐसे किसी प्रबंध निदेशक या पूर्णकालिक निदेशक या किसी अन्य निदेशक या प्रबन्धक या प्रबंध के भारसाधक किसी व्यक्ति के इस अधिकार पर प्रभाव नहीं डालेगी कि वह ऐसे प्रतिकर के रूप में वसूलीय धनराशियों से भिन्न रूप में वसूलीय धनराशियां औद्योगिक समुत्थान किसी बात के होते हुए भी,-

46. 1956 के अधिनियम 1 का लागू होना-(1) जहां किसी ऐसे औद्योगिक समुत्थान का, जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में परिभाषित कंपनी है, प्रबन्ध पुनर्निर्माण बैंक द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है वहां उक्त अधिनियम या ऐसे समुत्थान के संगम-ज्ञापन या संगम-अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी,-

(क) ऐसे समुत्थान के शेयर धारकों या किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह विधिपूर्ण नहीं होगा कि वह किसी अन्य व्यक्ति को समुत्थान के निदेशक के रूप में नामनिर्देशित या नियुक्त करे ;

(ख) ऐसे समुत्थान के शेयर धारकों की किसी बैठक में पारित संकल्प तभी कार्यान्वित किया जाएगा जब उसे पुनर्निर्माण बैंक द्वारा अनुमोदित कर दिया जाए ;

(ग) ऐसे समुत्थान के परिसमापन या उसकी बाबत रिसीवर की नियुक्ति के लिए किसी न्यायालय में कोई कार्यवाही, पुनर्निर्माण बैंक की सहमति से ही की जाएगी, अन्यथा नहीं ।

(2) उपधारा (1) के उपबंधों और इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए और ऐसे अन्य अपवादों, निर्बन्धनों और परिसीमाओं के, यदि कोई हों, अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) ऐसे समुत्थान को उसी रीति से लागू रहेगा जिससे वह धारा 42 के अधीन अधिसूचित आदेश के निकाले जाने के पूर्व उसे लागू था ।

47. ऐसे औद्योगिक समुत्थान का, जो कम्पनी नहीं है, प्रबंध ग्रहण कर लिए जाने पर उसके विघटन, आदि के लिए वादों के फाइल किए जाने पर निर्बन्धन-जहां किसी ऐसे औद्योगिक समुत्थान का, जो कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में परिभाषित कंपनी नहीं है, प्रबन्ध पुनर्निर्माण बैंक द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है वहां विघटन या विभाजन के लिए कोई वाद या कार्यवाही, जहां तक वह उस औद्योगिक समुत्थान से संबंधित है, किसी न्यायालय में अथवा किसी अधिकरण या अन्य प्राधिकरण के समक्ष, पुनर्निर्माण बैंक की सहमति से ही की जाएगी, अन्यथा नहीं ।

48. शासकीय समनुदेशिती या रिसीवर को पुनर्निर्माण बैंक की सहमति के बिना नियुक्त किया जाना-किसी ऐसे औद्योगिक समुत्थान के संबंध में, जिसका प्रबन्ध पुनर्निर्माण बैंक द्वारा ग्रहण कर लिया गया है, किसी शासकीय समनुदेशिती या रिसीवर की नियुक्ति के लिए कोई कार्यवाही, किसी न्यायालय में, पुनर्निर्माण बैंक की सहमति से ही की जाएगी, अन्यथा नहीं ।

49. कुछ सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थानों की दशा में अनुतोष अनुदत्त करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति-(1) यदि केन्द्रीय सरकार का, पुनर्निर्माण बैंक द्वारा उसे आवेदन किए जाने पर, यह समाधान हो जाता है कि किसी सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान का पुनर्गठन करने, उसे पुनरुज्जीवित करने या उसका पुनरुद्धार करने के प्रयोजन के लिए ऐसा करना आवश्यक है तो वह, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह घोषित कर सकेगी कि सभी या किसी संविदाओं, संपत्ति के हस्तांतरण पत्रों, करारों, परिनिर्धारणों, अधिनिर्णयों और स्थायी आदेशों या ऐसे अधिसूचित आदेश के निकाले जाने के ठीक पूर्व प्रवृत्त अन्य लिखतों का (जिनका ऐसा सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान पक्षकार है या जो ऐसे सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान को लागू हैं) प्रवर्तन निलम्बित रहेगा अथवा उक्त तारीख के पूर्व उसके अधीन प्रोद्भूत या उद्भूत होने वाले कोई अधिकार, विशेषाधिकार, बाध्यताएं और दायित्व निलम्बित रहेंगे या ऐसे अनुकूलनों सहित और ऐसी रीति से, जो अधिसूचित आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, प्रवर्तनीय होंगे ।

(2) उपधारा (1) के अधीन निकाला गया अधिसूचित आदेश, प्रथमतः दो वर्ष की अवधि के लिए प्रवृत्त रहेगा, किन्तु ऐसे आदेश की अवधि को, समय-समय पर अतिरिक्त अधिसूचित आदेश द्वारा किसी एक समय पर दो वर्ष से अनधिक की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकेगा :

परन्तु ऐसा कोई आदेश, किसी भी दशा में, प्रथम अधिसूचित आदेश के निकाले जाने की तारीख से, कुल मिलाकर आठ वर्ष से अधिक के लिए प्रवृत्त नहीं रहेगा ।

(3) उपधारा (1) के अधीन निकाला गया कोई अधिसूचित आदेश, किसी अन्य विधि, करार या लिखत अथवा किसी न्यायालय, अधिकरण, अधिकारी या अन्य प्राधिकरण की किसी डिक्री या आदेश अथवा किसी निवेदन परिनिर्धारण या स्थायी आदेश में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, प्रभावी होगा ।

(4) उपधारा (1) में निर्दिष्ट और उस उपधारा के अधीन निकाले गए अधिसूचित आदेश द्वारा निलम्बित या उपांतरित किसी अधिकार, विशेषाधिकार, बाध्यता या दायित्व के प्रवर्तन के लिए कोई उपचार, उस अधिसूचित आदेश के निबन्धनों के अनुसार निलम्बित या उपांतरित रहेगा और उससे संबंधित सभी कार्यवाहियां जो किसी न्यायालय, अधिकरण, अधिकारी या अन्य प्राधिकरण के समक्ष लम्बित हैं, तद्नुसार, रुकी रहेंगी या ऐसे अनुकूलनों के अधीन रहते हुए, चालू रहेंगी, किन्तु अधिसूचित आदेशों के प्रभावी न रह जाने पर-

(क) इस प्रकार निलम्बित रहा या उपांतरित कोई अधिकार, विशेषाधिकार, बाध्यता या दायित्व इस प्रकार पुनरुज्जीवित और प्रवर्तनीय होगा मानो वह अधिसूचित आदेश कभी किया ही न गया हो ;

(ख) इस प्रकार रुकी हुई कोई कार्यवाही ऐसी विधि के, जो उस समय प्रवृत्त हैं, उपबंधों के अधीन रहते हुए, उसी प्रक्रम से अग्रसर की जाएगी जिस पर वह उस समय पहुंची थी, जब ऐसी कार्यवाही रुक गई थी ।

(5) उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अधिकार, विशेषाधिकार, बाध्यता या दायित्व के प्रवर्तन के लिए परिसीमा की अवधि की संगणना करने में, ऐसी अवधि को अपवर्जित कर दिया जाएगा जिसके दौरान वह या उसके प्रवर्तन के लिए उपचार निलम्बित था ।

(6) यदि उपधारा (1) के अधीन निकाले गए अधिसूचित आदेश के प्रवर्तन की अवधि के दौरान केन्द्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक है तो वह-

(क) किसी सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के लिए ; या

(ख) किसी सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के समुचित प्रबन्ध के लिए, या

( ग ) किसी सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के दायित्वों को उस दशा में कम करने के लिए जिसमें सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान की वित्तीय स्थिति और अन्य परिस्थितियां ऐसी हैं कि उन्हें इस प्रकार कम किया जाना आवश्यक है ,

पुनर्निर्माण बैंक को-

(i) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के लिए ; या

(ii) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के दायित्वों को कम करने के लिए ; या

(iii) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान को किसी अन्य औद्योगिक समुत्थान के (जिसे इस धारा में अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान" कहा गया है) साथ समामेलन के लिए,

स्कीम तैयार करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगी ।

(7) उपधारा (6) में निर्दिष्ट स्कीम में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबन्ध हो सकेंगे, अर्थात् :-

(क) यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसका या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान का गठन, नाम और रजिस्ट्रीकृत कार्यालय, पूंजी, आस्तियां, शक्तियां, अधिकार, हित, प्राधिकार और विशेषाधिकार, दायित्व, कर्तव्य और बाध्यताएं ;

(ख) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के समामेलन की दशा में, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के कारबार, संपत्ति, आस्तियों और दायित्वों का ऐसे निबन्धनों और शर्तों पर, जो स्कीम में विनिर्दिष्ट की जाएं, अन्तरिती औद्योगिकी समुत्थान को अन्तरण ;

(ग) यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसके या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान के निदेशक बोर्ड में कोई परिवर्तन या किसी नए निदेशक बोर्ड की नियुक्ति और ऐसा प्राधिकारी जिसके द्वारा, ऐसी रीति जिससे और अन्य निबन्धन और शर्तें जिन पर ऐसा परिवर्तन या नियुक्ति की जाएगी और किसी नए निदेशक बोर्ड या किसी निदेशक की नियुक्ति की दशा में वह अवधि जिसके लिए ऐसी नियुक्ति की जाएगी ;

(घ) यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसकी या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान की पूंजी में परिवर्तन करने के प्रयोजन के लिए या ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए, जो उस पुनर्निर्माण या समामेलन को कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक हैं, उसके संगम-ज्ञापन और संगम-अनुच्छेद में परिवर्तन ;

(ङ) स्कीम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, ऐसी किन्हीं कार्रवाइयों या कार्यवाहियों को, जो उपधारा (1) के अधीन निकाले गए अधिसूचित आदेश की तारीख के ठीक पूर्व सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के विरुद्ध लम्बित हैं, यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसके द्वारा या उसके विरुद्ध अथवा अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान द्वारा या उसके विरुद्ध चालू रखा जाना ;

(च) ऐसे हित या अधिकारों में, जो सदस्यों या अन्य लेनदारों के सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण या समामेलन के पूर्व उसमें या उसके विरुद्ध हैं, उस मात्रा तक कमी जिस तक पुनर्निर्माण बैंक सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्गठन, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के हित में या सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के कारबार को बनाए रखने के लिए आवश्यक समझे ;

(छ) सदस्यों और अन्य लेनदारों को उनके दावों की पूर्ण तुष्टि के लिए-

(i) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान में या उसके विरुद्ध उसके पुनर्गठन या समामेलन के पूर्व उनके हित या अधिकारों की बाबत ; या

(ii) जहां उनके पूर्वोक्त हित या अधिकार सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान में या उसके विरुद्ध खंड (च) के अधीन कम कर दिए गए हैं वहां इस प्रकार कम कर दिए गए हित या अधिकारों की बाबत,

नकद या अन्यथा संदाय ;

(ज) नियंत्रण हित का, पुनर्निर्मित औद्योगिक समुत्थान में, केन्द्रीय सरकार में या उसके नामनिर्देशिती में, अपर निदेशक की नियुक्ति करके या अतिरिक्त शेयरों का आबंटन करने, निहित किया जाना ;

(झ) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के सदस्यों को, उसके पुनर्निर्माण या समामेलन के पूर्व, उसमें उनके द्वारा धारित किसी शेयर या शेयरों के लिए (चाहे ऐसे शेयरों पर उनके हित को खंड (च) के अधीन कम किया गया है या नहीं), यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसमें या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान में शेयरों का आबंटन और जहां कोई सदस्य नकद संदाय के लिए न कि शेयरों के आबंटन के लिए दावा करता है या जहां किसी सदस्य के शेयरों का आबंटन करना संभव नहीं है वहां उन सदस्यों को उनके दावों की पूर्ण तुष्टि के लिए-

(i) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण या समामेलन के पूर्व उसके शेयरों में उनके हित की बाबत ; या

(ii) जहां ऐसे हित को खंड (च) के अधीन कम कर दिए गया है वहां इस प्रकार कम किए दिए गए शेयरों में उनके हित की बाबत,

(ञ) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के ऐसे कर्मचारियों की, जो स्कीम में विनिर्दिष्ट किए जाएं सेवाओं का सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसमें ही या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान में ऐसे निबन्धनों और शर्तों पर, जो स्कीम में विनिर्दिष्ट की जाएं, चालू रखना ।

(ट) खंड (ञ) में किसी बात के होते हुए भी, जहां सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के ऐसे किन्हीं कर्मचारियों ने जिनकी सेवाएं, उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्रारूप स्कीम में प्रस्तावित हैं, पुनर्निर्माण बैंक को उस तारीख से, जिसको प्रारूप स्कीम सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान को भेजी जाती है, ठीक आगामी एक मास की समाप्ति के पूर्व किसी भी समय सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसके या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान के कर्मचारी न बनने के अपने आशय की सूचना भेज दी है वहां ऐसे कर्मचारियों को और ऐसे अन्य कर्मचारियों को, जिनकी सेवाएं सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण पर उसमें या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान में जारी नहीं रखी गई हैं, ऐसे प्रतिकर का, यदि कोई हो, संदाय जिसके वे औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) के अधीन हकदार हैं और ऐसी पेंशन, उपदान, भविष्य-निधि और अन्य सेवानिवृत्ति फायदे, जो उन्हें सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण या समामेलन की तारीख के ठीक पूर्व प्रवृत्त उसके नियमों या प्राधिकारों के अधीन मामूली तौर पर अनुज्ञेय हैं ;

(ठ) सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण या समामेलन के लिए कोई अन्य निबंधन और शर्तें ;

(ड) ऐसे आनुषंगिक, पारिणामिक और अनुपूरक विषय जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि पुनर्निर्माण या समामेलन पूर्णतः और प्रभावी तौर पर कार्यान्वित किया जाएगा ।

(8) (क) पुनर्निर्माण बैंक द्वारा तैयार की गई स्कीम के प्रारूप की प्रति सुझावों और आक्षेपों के लिए, यदि कोई हों, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान को अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान और समामेलन से सम्बन्धित किसी अन्य औद्योगिक समुत्थान को भी ऐसी अवधि के भीतर भेजी जाएगी, जो पुनर्निर्माण बैंक इस प्रयोजन के लिए विनिर्दिष्ट करे ।

(ख) पुनर्निर्माण बैंक, प्रारूप स्कीम में ऐसे उपान्तरण, यदि कोई हों, कर सकेगा जिन्हें वह सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान तथा अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान और समामेलन से सम्बन्धित किसी अन्य औद्योगिक समुत्थान तथा ऐसे औद्योगिक समुत्थानों और अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान के किन्हीं सदस्यों या अन्य लेनदारों से प्राप्त सुझावों और आक्षेपों को, यदि कोई हों, ध्यान में रखते हुए, आवश्यक समझे :

परन्तु जहां अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान कोई कंपनी है वहां पूर्वोक्त स्कीम, ऐसी कंपनी के समक्ष उसके साधारण अधिवेशन में उसके सदस्यों के अनुमोदन के लिए रखी जाएगी और ऐसी किसी स्कीम को तभी अग्रसर किया जाएगा जब उसे, उपांतरण सहित या उसके बिना, ऐसी कंपनी के सदस्यों द्वारा पारित विशेष संकल्प द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है ।

(9) उसके पश्चात् स्कीम को , केन्द्रीय सरकार के समक्ष उसकी मंजूरी के लिए रखा जाएगा और केन्द्रीय सरकार , स्कीम को किसी उपान्तरण के बिना या ऐसे उपान्तरणों सहित मंजूर कर सकेगी , जो वह आवश्यक समझे और केन्द्रीय सरकार द्वारा मंजूर की गई स्कीम , उस तारीख को प्रवृत्त होगी , जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे :

परन्तु स्कीम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें विनिर्दिष्ट की जा सकेंगी ।

(10) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (9) द्वारा अपने को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने में अपनी सहायता के प्रयोजन के लिए, सलाहकार समिति का गठन कर सकेगी जो केन्द्रीय सरकार, रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक, लोक वित्तीय संस्थाओं और राष्ट्रीकृत बैंकों के ऐसे अधिकारियों से मिलकर बनेगी जिन्हें वह ठीक समझे और जिन्हें निम्नलिखित एक या अधिक विषयों का ज्ञान या अनुभव है, अर्थात् :-

(क) उद्योग और औद्योगिक रुग्णता ;

(ख) वित्त और बैंककारी ;

(11) उपधारा (9) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारी दी गई मंजूरी इस बात का निश्चायक साक्ष्य होगी कि, यथास्थिति, पुनर्निर्माण या समामेलन के सम्बन्ध में इस स्कीम की सभी अपेक्षाओं का अनुपालन किया गया है और मंजूर की गई स्कीम की प्रति, जिसे केन्द्रीय सरकार का कोई अधिकारी लिखित रूप में उसकी सही प्रति के रूप में प्रमाणित करे, (अपील में या अन्यथा) सभी विधिक कार्यवाहियों में साक्ष्य के रूप में उसी विस्तार तक ग्रहण की जाएगी जिस तक मूल स्कीम ग्रहण की जाती है ।

(12) स्कीम या उसके किसी उपबन्ध के प्रवर्तन में आने की तारीख से ही, स्कीम या ऐसा उपबन्ध, यथास्थिति, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान और समामेलन से सम्बन्धित किसी अन्य औद्योगिक समुत्थान पर तथा उन सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थानों में से प्रत्येक समुत्थान और अंतरिती औद्योगिक समुत्थान के सभी सदस्यों और अन्य लेनदारों और कर्मचारियों पर भी तथा सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थानों में से किसी समुत्थान या अंतरिती औद्योगिक समुत्थान के संबंध में कोई अधिकार या दायित्व रखने वाले ऐसे किसी अन्य व्यक्ति पर, जिसके अन्तर्गत उन औद्योगिक समुत्थानों में से किसी के द्वारा या अन्तरिती औद्योगिक समुत्थान द्वारा बनाई रखी गई किसी भविष्य निधि या अन्य निधि के न्यासी या प्रबन्ध करने वाले या उससे किसी भी रीति से सम्बन्धित अन्य व्यक्ति हैं, आबद्धकर होगा ।

(13) ऐसी तारीख से ही, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट की जाए, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान की संपत्ति और आस्तियां, स्कीम के आधार पर और उसमें उपबन्धित विस्तार तक, अंतरिती औद्योगिक समुत्थान को अन्तरित और उसमें निहित हो जाएंगी तथा सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के दायित्व, स्कीम के आधार पर और उसमें उपबन्धित विस्तार तक, अंतरिती औद्योगिक समुत्थान को अन्तरित हो जाएंगे और वे उसके दायित्व हो जाएंगे ।

(14) यदि स्कीम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, तो केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, कोई ऐसी बात कर सकेगी जो ऐसे उपबन्धों से असंगत न हो और जो कठिनाई को दूर करने के प्रयोजन के लिए उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हो ।

(15) स्कीम या उपधारा (14) के अधीन निकाले गए किसी आदेश की प्रतियां, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार द्वारा स्कीम के मंजूर किए जाने या आदेश के निकाले जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, रखी जाएंगी ।

(16) जहां स्कीम सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के समामेलन के लिए कोई स्कीम है वहां स्कीम के अधीन या उसके किसी उपबन्ध के अधीन अंतरिती औद्योगिक समुत्थान द्वारा अर्जित कोई कारबार, स्कीम के या ऐसे उपबन्ध के प्रवर्तन में आने के पश्चात् अंतरिती औद्योगिक समुत्थान को शासित करने वाली विधि के अनुसार, अंतरिती औद्योगिक समुत्थान द्वारा उस विधि में ऐसे उपांतरणों के या उसके किन्हीं उपबन्धों के प्रवर्तन से अंतरिती औद्योगिक समुत्थान को ऐसी छूट के अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार पुनर्निर्माण बैंक की सिफारिश पर, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, स्कीम को पूर्ण रूप से कार्यान्वित करने के प्रयोजनों के लिए करे या दे, चलाया जा सकेगा :

परन्तु इस प्रकार ऐसा कोई उपांतरण नहीं किया जाएगा या ऐसी कोई छूट नहीं दी जाएगी जिससे उसका प्रभाव ऐसे कारबार के अर्जन की तारीख से सात वर्ष से अधिक अवधि के लिए हो ।

(17) इस उपधारा की किसी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह ऐसे कई औद्योगिक समुत्थानों की, जिनमें से प्रत्येक की बाबत इस धारा की उपधारा (1) के अधीन आदेश निकाला गया है, एकल स्कीम द्वारा किसी औद्योगिक समुत्थान के साथ समामेलन को रोकती है ।

50. औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण, आदि के लिए स्कीम तैयार करने के लिए पुनर्निर्माण बैंक को प्राधिकृत करने की उच्च न्यायालय की शक्ति-(1) जहां ऐसी किसी कम्पनी का, जो औद्योगिक कंपनी है, उच्च न्यायालय द्वारा परिसमापन किया जाता है और उच्च न्यायालय की यह राय है कि ऐसे औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के लिए कोई स्कीम बनाई जाए वहां वह औद्योगिक समुत्थान के ऐसे पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के लिए स्कीम तैयार करने और अपने को प्रस्तुत करने के लिए, आदेश द्वारा, पुनर्निर्माण बैंक को प्राधिकृत कर सकेगा ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक, उपधारा (1) के अधीन न्यायालय द्वारा किए गए आदेश के अनुसरण में, उपधारा (1) में निर्दिष्ट औद्योगिक समुत्थान के पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार के लिए कोई स्कीम तैयार कर सकेगा और इस प्रकार बनाई गई स्कीम में धारा 49 की उपधारा (7) में विनिर्दिष्ट सभी या कोई विषय अन्तर्विष्ट हो सकेंगे :

परन्तु ऐसी किसी स्कीम में समापनाधीन कंपनी या उसके स्वामित्व में के किसी उपक्रम का किसी अन्य कंपनी या ऐसी अन्य कंपनी के स्वामित्व में के किसी अन्य उपक्रम के साथ समामेलन या विलयन का उपबन्ध, उस अन्य कंपनी के सदस्यों द्वारा पारित विशेष संकल्प के प्राधिकार पर ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।

(3) यदि उच्च न्यायालय का, उपधारा (2) के अधीन तैयार की गई स्कीम पर विचार करने के पश्चात् यह समाधान हो जाता है कि वह स्कीम औद्योगिक समुत्थान का, जो ऐसी कंपनी है जिसका न्यायालय द्वारा परिसमापन किया जा रहा है, पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार सुनिश्चित करती है और ऐसा पुनर्निर्माण, पुनरुज्जीवन या पुनरुद्धार समुदाय के लिए आवश्यक माल के उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करेगा तो वह स्कीम किसी उपांतरण सहित या उसके बिना अनुमोदित कर सकेगा और इस प्रकार अनुमोदित स्कीम, इस अधिनियम के किन्हीं अन्य उपबन्धों अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या किसी करार, अधिनिर्णय या अन्य लिखत में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, प्रभावी होगी ।

51. संपत्ति को भारसाधन में लेने के लिए मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पुनर्निर्माण बैंक की सहायता किया जाना-(1) जहां धारा 39, धारा 40 या धारा 41 द्वारा प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में किसि संपत्ति, चीजबस्त या अनुयोज्य दावों का विक्रय किया गया है या उन्हें पट्टे पर दिया गया है अथवा जहां किसी औद्योगिक समुत्थान का प्रबन्ध, पुनर्निर्माण बैंक या उसके नामनिर्देशिती ग्रहण कर लिया गया है अथवा किसी उपक्रम या औद्योगिक समुत्थान का धारा 49 के अधीन समामेलन किया जाता है वहां पुनर्निर्माण बैंक या प्रशासक या कोई निदेशक या पुनर्निर्माण बैंक द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति, ऐसी किसी संपत्ति, चीजबस्त या अनुयोज्य दावों को अभिरक्षा या नियंत्रण में लेने के प्रयोजन के लिए ऐसे मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट को, जिसकी अधिकारिता के भीतर कोई संपत्ति अथवा ऐसी संपत्ति या चीजबस्त या अनुयोज्य दावों से सम्बन्धित लेखा बहियां या अन्य दस्तावेजें स्िथत हैं या पाई जाएं, उनका कब्जा लेन के लिए लिखित रूप में अनुरोध कर सकेगा और, यथास्थिति, मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट अपने को ऐसा अनुरोध किए जाने पर-

( क ) ऐसी संपत्ति , चीजबस्त या अनुयोज्य दावों और लेखाबहियों तथा उनसे सम्बन्धित अन्य दस्तावेजों का कब्जा लेगा , और

(ख) उन्हें, यथास्थिति, पुनर्निर्माण बैंक, प्रशासक, निदेशक या अन्य व्यक्ति को अग्रेषित करेगा ।

(2) उपधारा (1) के उपबन्धों का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए, मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट ऐसे कदम उठा सकेगा या उठवाएगा और ऐसा बल प्रयोग कर सकेगा या कराएगा जो उसकी राय में आवश्यक है ।

(3) मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस धारा के अनुसरण में किया गया कोई कार्य, किसी न्यायालय में या किसी प्राधिकारी के समक्ष प्रश्नगत नहीं किया जाएगा ।

अध्याय 9

प्रकीर्ण

52. अधिनियम का अन्य विधियों पर प्रभाव-इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या स्कीम के उपबन्ध, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या किसी औद्योगिक समुत्थान के संगम-ज्ञापन या संगम-अनुच्छेद अथवा इस अधिनियम से भिन्न किसी विधि के आधार पर प्रभाव रखने वाली किसी अन्य लिखत में उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे ।

53. 1961 के अधिनियम 43, 1964 के अधिनियम 7 और 1974 के अधिनियम 45 का पुनर्निर्माण बैंक को लागू होना- आय-कर अधिनियम, 1961 या कंपनी (लाभ) अतिकर अधिनियम, 1964 या ब्याज-कर अधिनियम, 1974 अथवा आय, लाभों या अभिलाभों पर कर के सम्बन्ध में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियमिति में किसी बात के होते हुए भी, पुनर्निर्माण बैंक निम्नलिखित की बाबत, आय-कर, अतिकर, ब्याज-कर या कोई अन्य कर देने के लिए दायी नहीं होगा, अर्थात् :-

(क) पुनर्निर्माण सहायता निधि को प्रोद्भूत होने वाली कोई आय, लाभ या अभिलाभ अथवा उस निधि के खाते में प्राप्त कोई रकम ;

(ख) पुनर्निर्माण बैंक को व्युत्पन्न कोई आय, लाभ या अभिलाभ अथवा उसके द्वारा कोई प्राप्त रकम ; और

( ग ) ब्याज - कर अधिनियम , 1974 के उपबन्धों के अनुसार पुनर्निर्माण बैंक द्वारा संगृहीत या उसको संदेय कोई ब्याज ।

54. परिसमापन संबंधी विधि का पुनर्निर्माण बैंक को लागू होना-निगमों के परिसमापन संबंधी विधि का कोई उपबंध, पुनर्निर्माण बैंक को लागू नहीं होगा और पुनर्निर्माण बैंक का परिसमापन केन्द्रीय सरकार के आदेश से ही और ऐसी रीति से ही, जो वह निदिष्ट करे, किया जाएगा अन्यथा नहीं ।

55. 1891 के अधिनियम 18 का पुनर्निर्माण बैंक की बहियों को लागू होना-पुनर्निर्माण बैंक, बैंककार बही साक्ष्य अधिनियम, 1891 के प्रयोजनों के लिए बैंक समझा जाएगा ।

56. 1949 के अधिनियम 10 के कुछ उपबंधों का पुनर्निर्माण बैंक को लागू होना-बैंककारी विनियमन अधिनियम , 1949 की कोई बात , धारा 34 क और धारा 36 कघ के उपबन्धों के सिवाय , पुनर्निर्माण बैंक को लागू नहीं होगी ।

57. 1969 के अधिनियम 54 का कुछ उपक्रमों के विस्तार या समामेलन को लागू होना-एकाधिकार तथा अवरोधक व्यापारिक व्यवहार अधिनियम, 1969 को कोई उपबंध ऐसे किसी उपक्रम के, जिसको उस अधिनियम का भाग 3 लागू होता है, समामेलन, विलयन, आधुनिकीकरण या विस्तार के संबंध में तब लागू नहीं होगा जब ऐसे उपक्रम का समामेलन, विलयन, आधुनिकीकरण या विस्तार, इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार किसी विक्रय, पट्टे, क्रय, समामेलन या विलयन के परिणामस्वरूप होता है ।

58. विवरणियां-पुनर्निर्माण बैंक, केन्द्रीय सरकार और रिजर्व बैंक को समय-समय पर ऐसी विवरणियां देगा जिनकी, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या रिजर्व बैंक अपेक्षा करे ।

59. शक्तियों का प्रत्यायोजन-बोर्ड, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, कार्यपालिका, समिति या इस अधिनियम के अधीन गठित किसी अन्य समिति को अथवा पुनर्निर्माण बैंक के किसी निदेशक, अधिकारी या अन्य कर्मचारी को अथवा सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान का या ऐसे सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान के स्वामित्व में के किसी उपक्रम का प्रबन्ध करने के लिए पुनर्निर्माण बैंक द्वारा प्राधिकृत निदेशकों, प्रशासकों, अधिकारियों या अन्य व्यक्तियों को, ऐसी शर्तों और निर्बंधनों के, यदि कोई हों, अधीन रहते हुए जो उक्त आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाए , इस अधिनियम के अधीन अपनी ऐसी शक्तियां और कर्तव्य , जो वह आवश्यक समझे , प्रत्यायोजित कर सकेगा ।

60. पुनर्निर्माण बैंक के कर्मचारिवृन्द-(1) धारा 7 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, पुनर्निर्माण बैंक उतने अधिकारी और अन्य कर्मचारी जितने वह अपने कृत्यों के दक्षतापूर्ण पालन के लिए आवश्यक या वांछनीय समझे, नियुक्त कर सकेगा और वह उनकी नियुक्ति और सेवा के निंबधन और शर्तें अवधारित कर सकेगा ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या किसी संविदा में किसी बात के होते हुए भी, अपने किन्हीं अधिकारियों को या अपने कर्मचारिवृन्द के अन्य सदस्यों को, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो विहित की जाएं, विहित संस्थाओं में, प्रतिनियुक्त कर सकेगा या वहां उस प्रतिनियुक्ति पर ले सकेगा और अपने किन्हीं अधिकारियों या अपने कर्मचारिवृन्द के अन्य सदस्यों की भी किसी सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान में प्रतिनियुक्त कर सकेगा :

परन्तु इस धारा की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह पुनर्निर्माण बैंक को, किसी विहित संस्था या सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान में किसी अधिकारी को या अपने कर्मचारिवृन्द के किसी अन्य सदस्य को किसी वेतन, उपलब्धियों या सेवा के ऐसे अन्य निर्बंधनों और शर्तों पर प्रतिनियुक्ति करने के लिए सशक्त करती है जो उसके लिए उनसे कम अनुकूल है जिनका वह ऐसी प्रतिनियुक्ति के ठीक पूर्व हकदार था ।

61. विश्वसनीयता और गोपनीयता के संबंध में बाध्यताएं-(1) पुनर्निर्माण बैंक, विधि द्वारा जैसा अन्यथा अपेक्षित है उसके सिवाय, बैंककारों में प्रचलित पद्धतियों और प्रथाओं का अनुपालन करेगा और विशिष्टतया, उपधारा (3) में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, सहायताप्राप्त औद्योगिक समुत्थान से संबंधित या उसके कार्यकलापों से संबंधित कोई जानकारी तभी प्रकट करेगा जब परिस्थितियां ऐसी हों जिनमें विधि या बैंककारों में प्रचलित पद्धतियों और प्रथाओं के अनुसार, पुनर्निर्माण बैंक के लिए ऐसी जानकारी प्रकट करना आवश्यक या समुचित है ।

(2) पुनर्निर्माण बैंक का प्रत्येक निदेशक, संपरीक्षक, सलाहकार, अधिकारी या कोई अन्य कर्मचारी, अपना कर्तव्य ग्रहण करने से पहले, दूसरी अनुसूची में दिए गए प्ररूप में विश्वसनीयता और गोपनीयता की घोषण करेगा ।

(3) पुनर्निर्माण बैंक, इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के दक्षतापूर्ण निर्वहन के प्रयोजन के लिए,-

(क) केन्द्रीय सरकार से ;

(ख) रिजर्व बैंक से ;

(ग) स्टेट बैंक या भारतीय स्टेट बैंक (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959 (1959 का 38) के अर्थ में किसी समनुषंगी बैंक या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या किसी अन्य अनुसूचित बैंक या राज्य सहकारी बैंक या विकास बैंक या अन्य लोक वित्तीय संस्थाओं या राज्य स्तर अभिकरणों या विहित संस्थाओं या राज्य वित्तीय निगमों से,

प्रत्यय विषयक ऐसी जानकारी या अन्य जानकारी, जो वह इस प्रयोजन के लिए उपयोगी समझे, ऐसी रीति से और ऐसे समयों पर, जो वह ठीक समझे, संगृहीत कर सकेगा या उन्हें दे सकेगा ।

स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, प्रत्यय विषयक जानकारी" पद का वही अर्थ होगा जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45क के खंड (ग) में है जो इस उपांतर के अधीन होगा कि उसमें निर्दिष्ट बैंककारी कंपनी का अर्थ सहायता प्राप्त औद्योगिक समुत्थान है ।

62. भविष्य निधि-(1) पुनर्निर्माण बैंक, धारा 60 के अधीन नियुक्त अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के फायदे के लिए (और साथ ही ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के लिए जिनकी सेवाएं धारा 7 के अधीन उसे अंतरित की गई हैं) ऐसी रीति से और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाएं, ऐसी बीमा और भविष्य निधि का गठन करेगा जो वह ठीक समझे ।

(2) जहां ऐसी बीमा या भविष्य निधि का इस प्रकार गठन किया गया है वहां केन्द्रीय सरकार यह घोषणा कर सकेगी कि भविष्य निधि अधिनियम, 1925 (1925 का 19) के उपबंध, ऐसी निधि को इस प्रकार लागू होंगे मानो वह सरकारी भविष्य निधि हो ।

63. निदेशकों की क्षतिपूर्ति-(1) पुनर्निर्माण बैंक, प्रत्येक निदेशक की, ऐसी हानियों और व्ययों के सिवाय, जो उसके द्वारा जानबूझकर किए गए कार्य या व्यतिक्रम के कारण हुए हों, ऐसी सभी हानियों और व्ययों के लिए क्षतिपूर्ति करेगा जो उसके द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में या उसके संबंध में उपगत किए जाते हैं ।

(2) कोई निदेशक, पुनर्निर्माण बैंक के किसी अन्य निदेशक के प्रति अथवा किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के प्रति या पुनर्निर्माण बैंक की ओर से अर्जित या ली गई किसी सम्पत्ति या प्रतिभूति के मूल्य या हक की किसी अपर्याप्तता या कमी अथवा किसी ऋणी या पुनर्निर्माण बैंक के प्रति बाध्यता के अधीन किसी व्यक्ति के दिवालियापन या सदोष कार्य अथवा अपने पद के कर्तव्यों के निष्पादन में या उसके संबंध में सद्भावपूर्वक की गई किसी बात के परिणामस्वरूप पुनर्निर्माण बैंक को होने वाली किसी हानि या व्ययों के लिए उत्तरदायी नहीं होगा ।

64. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण-इस अधिनियम के या किसी अन्य विधि के या विधि का बल रखने वाले किसी उपबंध के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात से हुई या होनी सम्भाव्य किसी हानि या नुकसान के लिए कोई भी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही, पुनर्निर्माण बैंक अथवा पुनर्निर्माण बैंक के किसी निदेशक या अधिकारी या अन्य कर्मचारी अथवा इस अधिनियम के अधीन कृत्यों के निर्वहन के लिए पुनर्निर्माण बैंक द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध नहीं होगी ।

65. अध्यक्ष, निदेशक आदि का लोक सेवक होना-पुनर्निर्माण बैंक का अध्यक्ष, निदेशक, सलाहकार और संपरीक्षक और प्रत्येक अन्य कर्मचारी भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 9 के प्रयोजनों के लिए लोक सेवक समझा जाएगा ।

66. उधारों और अग्रिम धनों के लिए आवेदनों में मिथ्या कथन करने के लिए शास्ति-यदि पुनर्निर्माण बैंक से उधार या अग्रिम धन या कोई अन्य सहायता प्राप्त करने के प्रयोजन के लिए किए गए, प्रस्तुत किए गए, दिए गए या पेश किए गए किसी आवेदन , विवरणी या कथन अथवा किसी अन्य दस्तावेज में कोई व्यक्ति कोई ऐसा कथन ,-

(क) जो किसी तात्त्विक विशिष्टि में मिथ्या है, यह जानते हुए करेगा कि वह मिथ्या है ; या

(ख) जिसमें किसी तात्त्विक तथ्य का लोप किया गया है, यह जानते हुए करेगा कि वह तात्त्विक है,

तो वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा ।

67. कंपनियों द्वारा अपराध-(1) जहां धारा 66 के अधीन दंडनीय कोई अपराध, किसी कंपनी द्वारा किया गया है वहां ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कंपनी के कारबार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कंपनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने के भागी होंगे :

परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को दंड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां धारा 63 के अधीन दंडनीय कोई अपराध, किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा ।

स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए,-

(क) कंपनी" से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है ; और

(ख) फर्म के संबंध में, निदेशक" से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।

68. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी ।

(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :-

(क) भारत में और भारत के बाहर ऐसी संस्थाएं और अभिकरण जिनके उधारों को संदाय के लिए पुनर्निर्माण बैंक द्वारा प्रत्याभूत किया जा सकेगा या दौहरी प्रत्याभूति दी जा सकेगी या क्षतिपूर्ति की जा सकेगी, जैसा धारा 18 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट किया जाए ;

(ख) ऐसी संस्थाएं और अभिकरण, जिनके लिए पुनर्निर्माण बैंक द्वारा औद्योगिक समुत्थानों को उनके द्वारा उधार और अग्रिम धन अनुदत्त करने के लिए बद्ध प्रत्यय की व्यवस्था की जा सकेगी, जैसा धारा 18 की उपधारा (1) के खंड (घ) के अधीन विनिर्दिष्ट किया जाए ;

(ग) ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुनर्निर्माण बैंक के अभिकर्ता के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया जा सकेगा, जैसा धारा 18 की उपधारा (1) के खंड (थ) द्वारा अपेक्षित है ;

(घ) धारा 23 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट स्रोत से भिन्न किसी स्रोत से विदेशी मुद्रा उधार लेना ;

(ङ) ऐसी शक्तियां जिनका प्रयोग या ऐसे कर्तव्य जिनका पालन धारा 44 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त किसी निदेशक या प्रशासक द्वारा किया जा सकेगा ;

(च) ऐसी रीति जिससे और ऐसी शर्तें जिनके अधीन रहते हुए, पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किसी बीमा या भविष्य निधि का गठन किया जा सकेगा, जैसा धारा 62 की उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित है ;

(छ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए ।

(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

69. विनियम बनाने की पुनर्निर्माण बैंक की शक्ति-(1) बोर्ड, केन्द्रीय सरकारी की पूर्व मंजूरी से, [राजपत्र में अधिसूचना द्वाराट ऐसे सभी विषयों के लिए जिनके लिए इस अधिनियम के और इसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए विनियम बनाना आवश्यक या समीचीन है, उपबंध करने के लिए, विनियम बना सकेगा जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हो ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे विनियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :-

(क) ऐसी शक्तियों से संबंधित निर्बन्धन, जिनका प्रयोग धारा 9 की उपधारा (2) के उपबंधों के अनुसरण में अध्यक्ष द्वारा किया जा सकेगा ;

(ख) वह समय जब और ऐसा स्थान जहां बोर्ड अपनी बैठक करेगा और प्रक्रिया के वे नियम (जिसके अंतर्गत गणपूर्ति है) जिनका अनुपालन बोर्ड द्वारा, अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में किया जाएगा जैसा धारा 14 की उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित हैं ;

(ग) (i) कार्यपालिका समिति या अन्य समितियों का गठन और उनके कृत्य ;

(ii) वह समय जब और ऐसा स्थान जहां ऐसी समितियां अपनी बैठक करेंगी ; और

(iii) प्रक्रिया के वे नियम (जिसके अंतर्गत गणपूर्ति है) जिनका अनुपालन प्रत्येक समिति द्वारा, अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में किया जाएगा जैसा धारा 15 द्वारा अपेक्षित है ;

(घ) निदेशकों और समिति के सदस्यों को दी जाने वाली फीस और भत्ते जैसा धारा 17 द्वारा अपेक्षित है ;

(ङ) ऐसी शर्तें और निर्बंधनों जिनके अधीन रहते हुए, कोई औद्योगिक समुत्थान किसी प्रकार का कारबार कर सकेगा जैसा धारा 19 की उपधारा (2) के खंड (i) द्वारा अपेक्षित है ;

(च) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे पुनर्निर्माण सहायता निधि का तुलनपत्र और लेखे तैयार किए जाएंगे जैसा धारा 29 की उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित है ;

(छ) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे पुनर्निर्माण बैंक का तुलनपत्र और लेखे तैयार किए जाएंगे जैसा धारा 32 की उपधारा (1) द्वारा अपेक्षित है ;

(ज) पुनर्निर्माण बैंक के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के (चाहे वे नियमित आधार पर या संविदा के आधार पर नियोजित हों) और ऐसे सभी व्यक्तियों के जो किसी ऐसे उपक्रम के प्रबन्ध के लिए नियुक्त किए गए हैं जिसका प्रबन्ध ग्रहण कर लिया गया है, कर्तव्य, आचरण, वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें ; और

(झ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए ।

(3) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखवाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

70. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति-यदि इस अधिनियम के किसी उपबंध को कार्यान्वित करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना, द्वारा ऐसी कठिनाई को दूर कर सकेगी :

परन्तु ऐसी कोई अधिसूचना, नियत दिन से दो वर्ष की समाप्ति के पश्चात्, नहीं निकाली जाएगी ।

71. कुछ अधिनियमितियों का संशोधन-इस अधिनियम की तीसरी अनुसूची के भाग 1 से भाग 3 में विनिर्दिष्ट अधिनियमितियां, उसके पहले स्तंभ में निदेशित रीति से संशोधित की जाएगी और ऐसे संशोधन उन तारीखों को प्रभावी होंगे जो उस अनुसूची के दूसरे स्तम्भ में विनिर्दिष्ट हैं ।

72. अधिनियमों, नियमों या विनियमों में निगम के स्थान पर पुनर्निर्माण बैंक का प्रतिस्थापन-नियत दिन को प्रवृत्त प्रत्येक अधिनियम, नियम या विनियम में, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण निगम लिमिटेड", शब्दों के स्थान पर, जहां-जहां वे आते हैं, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक" शब्द रखे जाएंगे ।

पहली अनुसूची

(धारा 37 देखिए)

भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 की धारा 37 में निर्दिष्ट घोषणा

मैं/हम . यह घोषणा करता हूं/करते है कि जैसा इसके उपबन्ध में विनिर्दिष्ट है, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक द्वारा मुझे/हमें या मेरे/हमारे अनुरोध पर दी गई सहायता के प्रतिफलस्वरूप, मैं/हम करार करता हूं/करते हैं कि उक्त उपबन्ध में विनिर्दिष्ट स्थावर संपत्ति, उक्त सहायता के लिए प्रतिभूति होंगी और मैं/हम यह करार करता हूं/ करते हैं कि ऐसी सहायता से उत्पन्न होने वाले शोध्य धन, इस विलेख के निष्पादन की तारीख से ही उक्त पुनर्निर्माण बैंक के शोध्य धन की वसूली के लिए उक्त संपत्ति पर भार होंगे ।

पक्षकारों द्वारा निष्पादित ।

(1) . द्वारा हस्ताक्षरित और परिदत्त । (सहायता प्राप्त करने वाले पक्षकार)

(2) . द्वारा हस्ताक्षरित और परिदत्त । (प्रत्याभूति/सांपार्श्विक प्रतिभूति देने वाले सम्बन्धित व्यक्ति)

(3) पुनर्निर्माण बैंक के सम्यक् रूप से प्राधिकृत पदधारी द्वारा हस्ताक्षरित ।

(टिप्पण :-जो लागू न हो उसे काट दीजिए) ।

दूसरी अनुसूची

(धारा 61 देखिए)

विश्वसनीयता और गोपनीयता की घोषणा

मैं. घोषणा करता हूं कि मैं ऐसे कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक, सच्चाई से तथा अपने सर्वोत्तम कौशल और योग्यता से निष्पादन और पालन करूंगा, जिनका मुझ से भारतीय पुनर्निर्माण बैंक के अध्यक्ष, निदेशक, . समिति के सदस्य, संपरीक्षक, सलाहकार, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के रूप में किया जाना अपेक्षित है और जो उक्त पुनर्निर्माण बैंक में या उसके संबंध में मेरे द्वारा धारित पद या ओहदे से उचित रूप से संबंधित हैं ।

मैं यह भी घोषणा करता हूं कि मैं भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकलापों से या उक्त पुनर्निर्माण बैंक के साथ व्यवहार करने वाले किसी व्यक्ति के कार्यकलापों से संबंधित कोई जानकारी ऐसे किसी व्यक्ति को, जो उसका विधिक रूप से हकदार नहीं है, संसूचित नहीं करूंगा और संसूचित नहीं होने दूंगा तथा ऐसे व्यक्ति को उक्त पुनर्निर्माण बैंक की या उसके कब्जे में की तथा उक्त पुनर्निर्माण बैंक के कारबार से या उक्त पुनर्निर्माण बैंक के साथ व्यवहार करने वाले व्यक्ति के कारबार से संबंधित किन्हीं बहियों या दस्तावेजों का निरीक्षण नहीं करने दूंगा और उसकी उन तक पहुंच नहीं होने दूंगा ।

मेरे समक्ष हस्ताक्षरित ।

तीसरी अनुसूची

(धारा 71 देखिए)

कुछ अधिनियमितियों का संशोधन

भाग 1

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) का संशोधन

वह तारीख जिसको संशोधन प्रभावी होंगे

1. धारा 2 में, खंड (गत्ध्) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित करें, अर्थात् :-

पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना की तारीख ।

(गv) पुनर्निर्माण बैंक" से भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 की धारा 3 के अधीन स्थापित भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अभिप्रेत है ।।

(क) खंड (4छ) में, निआ बैंक" शब्दों के पश्चात् या पुनर्निर्माण बैंक" शब्द अंतःस्थापित करें ;

(ख) खंड (4झ) में, निआ बैंक" शब्दों के पश्चात् या पुनर्निर्माण बैंक" शब्द अंतःस्थापित करें ;

(ग) खंड (4ञ) में पश्चात् निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित करें, अर्थात् :-

(4ट) पुनर्निर्माण बैंक को-

(क) ऐसे स्टाकों, निधियों और (स्थावर संपत्ति से भिन्न) प्रतिभूतियों की प्रतिभूति पर, जिनमे न्यास-धन विनिहित करने के लिए कोई न्यासी भारत में तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा प्राधिकृत है, ऐसे उधार और अग्रिम देना जो मांगे जाने पर या उस उधार या अग्रिम की तारीख से नब्बे दिन से अनधिक की नियत अवधि के अवसान पर प्रतिसंदेय है ; या

(ख) ऐसे विनिमय-पत्रों या वचनपत्रों की प्रतिभूति पर उधार और अग्रिम देना, जो सद्भावपूर्वक किए गए वाणिज्यिक या व्यापारिक संव्यवहारों से उद्भूत होते हैं, जिन पर दो या अधिक मान्य हस्ताक्षर हैं और जो ऐसे उधार या अग्रिम की तारीख से पांच वर्ष के भीतर परिपक्त होते हैं ;" ;

(घ) खंड (12ख) में, निआ बैंक" शब्दों के पश्चात् या पुनर्निर्माण बैंक" शब्द अंतःस्थापित करें

3. धारा 42 की उपधारा (1) के परन्तुक के नीचे के स्पष्टीकरण के खंड (ग) के उपखंड (ii) में, अथवा निआ बैंक" से शब्दों के पश्चात् अथवा पुनर्निर्माण बैंक से" शब्द अंतःस्थापित करें ।

4. धारा 46ग की उपधारा (2) के खंड (ग) और खंड (घ) में, निआ बैंक" शब्दों के स्थान पर, जहां-जहां वे आते हैं, यथास्थिति, निआ बैंक या पुनर्निर्माण बैंक" शब्द रखें ।

भाग 2

औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) का संशोधन

वह तारीख जिसको संशोधन प्रभावी होगा

धारा 2 के खंड (खख) में, भारतीय निर्यात-आयात बैंक" शब्दों के पश्चात् भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक" शब्द अंतःस्थापित करें ।

भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना की तारीख ।

भाग 3

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) का संशोधन

वह तारीख जिसको संशोधन प्रभावी होंगे

1. धारा 5 के खंड (चचख) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित करें, अर्थात् :-

पुनर्निर्माण बैंक की स्थापना की तारीख ।

(चचग) पुनर्निर्माण बैंक" से भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 की धारा 3 के अधीन स्थापित भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अभिप्रेत है ;'

2. धारा 18 के स्पष्टीकरण के खंड (क) के उपखंड (ii) में, या निआ बैंक" शब्दों के पश्चात् या पुनर्निर्माण बैंक" शब्द अंतःस्थापित करें ।

3. धारा 34क की उपधारा (3) में, निआ बैंक", शब्दों के पश्चात् पुनर्निर्माण बैंक," शब्द अंतःस्थापित करें ।

4. धारा 36कघ की उपधारा (3) में, निआ बैंक," शब्दों के पश्चात् पुनर्निर्माण बैंक," शब्द अंतःस्थापित करें ।

5. धारा 56 के खंड (ञ) के नीचे के स्पष्टीकरण के खंड (क) के उपखंड (ii) में, निआ बैंक," शब्दों के पश्चात् पुनर्निर्माण बैंक," शब्द अंतःस्थापित करें ।

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